छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी के विधायक भीमा मंडावी की 10 अप्रैल को नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. विधायक के हत्या की जांच अब एनआईए को सौंप दी गई है. पिछले महीने की 10 तारीख को कुआकोंडा में हुए एक नक्सली हमले में बीजेपी के दंतेवाड़ा से विधायक भीमा मंडावी सहित चार पुलिस शहीद हो गए थे. NIA ने इस प्रकरण में 17 मई को अपराध दर्ज किया है. प्रकरण की संक्षिप्त जानकारी इस रुप में दर्ज है कि, केंद्र सरकार को यह सूचना मिली कि थाना कुआकोंडा में दस अप्रैल को अपराध क्रमांक 11/19 दर्ज किया गया है
NIA की इस एफआईआर की जानकारी प्रदेश में किसी जवाबदेह अधिकारी को नही थी. इस मसले पर मीडिया ने जब प्रदेश के पुलिस महानिदेशक डी एम अवस्थी से जानकारी लेनी चाही तो उन्होने इस पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है. NIA को केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीटीसीआर डिवीज़न (आतंकवाद -रोधी एवं कट्टरवाद- रोधी प्रभाग ) ने 16 मई को पत्र क्रमांक 11011/19/2019/NIA के ज़रिए यह निर्देशित किया कि वे इस प्रकरण की जांच करें. मालूम हो कि भूपेश बघेल सरकार के अस्तित्व में आने के बाद यह पहली ऐसी घटना थी जिसमें विधायक की हत्या की गई.
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यह नक्सलियों द्वारा किए हमले के रुप में राज्य पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है. राज्य सरकार ने इस मसले पर FIR के साथ साथ पूरे प्रकरण के न्यायिक जांच की घोषणा की थी. NIA की इस कार्यवाही पर तमाम सियासी सवाल खड़े हो सकते हैं, लेकिन ग़ौरतलब है कि NIA एक्ट के 26 सेक्शन है जिसमें धारा 6 की उपधारा 5 के हिसाब से केंद्र सरकार को स्वयमेव NIA से विवेचना कराने का अधिकार होता है, परंतु अपराध NIA एक्ट की अनुसूची में दिए गए आठ अधिनियम के अंतर्गत किया गया हो. नियम कहते हैं कि NIA के द्वारा प्रकरण दर्ज किए जाने के बाद राज्य पुलिस को विवेचना की अधिकारिता नही रह जाती.
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HIGHLIGHTS
- 10 अप्रैल को हुई थी भीमा मांडवी की हत्या
- बीजेपी के विधायक थे मांडवी
- नक्सलियों ने की थी दंतेवाड़ा विधायक की हत्या
Source : Aaditya