Pushkar Resort Firing Case : टिपिकल बॉलीवुडिया क्राइम फिल्मों की कहानी होती है. पिता ईमानदार अधिकारी, नागरिक, पत्रकार होता है. सच्चाई के लिए लड़ने की वजह से उसकी हत्या कर दी जाती है. छोटे बच्चे बिलखते रह जाते हैं. फिर कई सालों का गैप आता है. अचानक तस्वीर बदली होती है. जगह कुछ वैसी ही जानी पहचानी होती है. लेकिन इस बार निशाने पर होता है वो हत्यारा, जिसने उनके पिता की हत्या की हत्या की या करवाई होती है. हम में से तमाम लोगों ने ऐसी फिल्में देखी ही होंगी. लेकिन अजमेर के पुष्कर से कुछ ऐसा ही मामला सामने आ रहा है, जो एक नजर में तो फिल्मी लगता है, लेकिन है पूरी तरह से हकीकत. जी हां, पूर्व पार्षद सवाईं सिंह की पुष्कर के रिजॉर्ट में गोली मार कर हत्या कर गई. सवाईं सिंह की उम्र 70 साल थी. उनके साथ उनका एक 68 वर्षीय साथी भी था, जो अंधाधुंध गोलीबारी में घायल हो गया.
...अब चलते हैं फ्लैश बैक में
आज से 31 साल पहले एक पत्रकार मदन सिंह की पुष्कर में हत्या कर दी गई थी. मदन सिंह गोलीबारी में घायल हो गए थे. जिंदगी और मौत से जंग लड़ने के लिए अस्पताल में भर्ती थे. साल था 1992. लेकिन अस्पताल पर अचानक हमला होता है. मदन सिंह को सरेआम मौत के घाट उतार दिया जाता है. मदन सिंह एक पत्रकार थे. जो उस समय अजमेर ब्लैकमेलिंग कांड (जिसमें लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनकी अस्मत लूटने के कई मामले सामने आए थे) को अपने अखबार के माध्यम से कवर कर रहे थे. हमेशा कुछ नई कड़ियां जोड़ लाते थे और अपने अखबार में उसे प्रकाशित करते थे. वो उस समय के ताकतवर लोगों की आंखों की किरकिरी थे. तो उन्हें पहले सड़क पर ही गोली मारी गई और फिर भी जब मदन सिंह ने दम नहीं तोड़ा, तो उन्हें अस्पताल में खामोश कर दिया गया. अब ठीक 31 साल बार उस कांड के मुख्य आरोपित की ताबड़तोड़ गोलीबारी में हत्या कर दी गई है.
वर्तमान समय में लौट आईए, पूरी कहानी का सार कुछ यूं है...
मदन सिंह की हत्या जब अस्पताल में हुई, तो उनके बच्चों की उम्र 8 साल से 12 तक की थी. बच्चों के नाम सूर्य प्रताप और धरम प्रताप सिंह हैं. मदन सिंह के हत्यारों में नाम आया था सवाईं सिंह (जिसकी हत्या हुई), राजकुमार जयपाल, नरेंद्र सिंह के साथ कुछ अन्य लोगों का. पुलिस ने गिरफ्तार किया. अदालत में केस चला और फिल्मों की तरह ही असलियत में भी आरोपित बरी हो गए. लेकिन उन्हें मदन सिंह के दोनों बेटों ने बरी नहीं किया था. उन्होंने घटना के 22 साल बाद सवाईं सिंह को मारने की कोशिश भी की थी, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए थे. सवाईं सिंह पार्षद रहे, तो राजकुमार कांग्रेस पार्टी के विधायक. तो जाहिर है कि इलाके के ताकतवर लोगों में नाम था. लेकिन सूर्या और धरम के दिल से बदले की आग खत्म ही नहीं हुई. वो सुलगते रहे. और फिर जैसे ही मौका मिला, उन्होंने दिनदहाड़े दोनों हाथों से गोलियों की बौछार कर दी और मदन सिंह को मार गिराया.
सूर्य प्रताप कई मामलों में वांछित
पिता की हत्या के बाद बड़े हो रहे सूर्य प्रताप ने जरायम की दुनिया में नाम कमाया. उस पर कई मामले दर्ज हुए थे. कुछ में उसे सजा भी हुई थी. अधिकांश मामलों में वो बेल पर था. साल 2012 में पिता के हत्यारों के रिहा होने के बाद उसने उन्हें मारने की कोशिश तो की थी, लेकिन अब 2023 में उसने अपने पिता की हत्या का बदला ले लिया है. हालांकि ये सवाल तो खड़ा हो ही रहा है कि सूर्य प्रताप भले ही पिता की हत्या का बदला लेना चाहता था, और उसके लिए उसने 31 सालों तक इंतजार किया. लेकिन इस दौरान उसके हाथ खून से क्यों रंग गए?
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पुलिस क्या कहती है?
अजमेर के सीओ (ग्रामीण) इस्लाम खान इस मामले को समझाते हैं. इस्लाम खान के मुताबिक, सूर्य प्रताप और धरम प्रताप ने सवाईं सिंह को जब घेरा, तो उनके दोनों हाथों में हथियार थे. वो फायरिंग कर रहे थे. सवाईं सिंह को बचने का कोई मौका नहीं मिला, उसे कई गोलियां नजदीक से मारी गई. ये गोलीबारी पिता की हत्या के बदले के तौर पर की गई लगती है. सवाईं सिंह उस मामले में मुख्य आरोपित था ही. हालांकि अभी साफ-साफ कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि पुलिस मामले की जांच कर रही है. सूर्य प्रताप को गिरफ्तार कर लिया गया है. उसका भाई धरम और अन्य एक आरोपित फरार होने में सफल रहा. जबकि 21 साल के विनय कुमार को पुलिस ने पकड़ लिया है. विनय कुमार सवाईं सिंह की रेकी कर रहा था. बाकी अब सूर्य कुमार को कोर्ट में पेश किया गया है. आगे की कहानी पता चलने पर हम जरूर बताएंगे...
HIGHLIGHTS
- अजमेर के पुष्कर में पूर्व पार्षद की हत्या
- पिता की मौत का बदला लेने के लिए की गई थी हत्या
- 31 साल पहले पिता की हुई थी हत्या