बिहार के सिवान से पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की आज सुबह कोरोना से मौत हो गई. शहाबुद्दीन की मौत की सूचना मिलते ही उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई. तो वहीं उन लोगों ने राहत की सांस ली, जिनको शहाबुद्दीन ने बर्बाद कर दिया था. एक जमाना था जब RJD का बाहुबली नेता शहाबुद्दीन इंसानों की जान को जान नहीं समझता था. शहाबुद्दीन पर 21 साल की उम्र 1986 में पहला मामला दर्ज हुआ था. शहाबुद्दीन पर उम्र से भी ज्यादा 56 मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से आधा दर्जन में उन्हें सजा हो चुकी थी. भाकपा माले के कार्यकर्ता छोटेलाल गुप्ता के अपहरण व हत्या के मामले में वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे.
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दो सगे भाइयों को तेजाब से नहलाया था
साल 2004 में चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का बदमाशों ने अपहरण कर लिया. बदमाशों ने गिरीश और सतीश को तेजाब से नहला कर मार दिया था. घटना 16 अगस्त 2004 की है. उस शाम सीवान के गौशाला रोड पर राजीव किराना स्टोर में 7-8 युवकों ने धावा बोलकर कैश लूट लिया. भरे बाजार में ऐलान किया कि कोई कुछ बोला तो, अंजाम बहुत बुरा होगा. दुकान में बैठे राजीव ने विरोध किया तो उसे पीटा गया. खतरा देख गिरीश बगल के बाथरूम में घुसा और एसिड की बोतल दिखाकर बदमाशों को डराने लगा. बदमाश भागे, मगर घंटेभर में बड़ी तादाद में लौटे.
तीसरे लड़के को सरेराह गोली मार दी
इस बार गिरीश राजीव और सतीश को प्रतापपुर उठा ले गए. जहां चारों तरफ घने ईख के खेत. वहां एक बगीचे में गिरीश और सतीश को पेड़ से बांध दिया. राजीव को ईख के खेत में पिस्टल के दम पर बंधक बना लिया गया. तब तक सांसद शहाबुद्दीन वहां हथियारों से लैस शूटरों के साथ पहुंचे. और वहां लगाई गई कुर्सी पर बैठ गए. फरमान जारी किया, नहला दो इन लोगों को एसिड से. आदेश मिलते ही गिरीश और सतीश पर तेजाब डाला जाने लगा. चीखें गूंजने लगीं. दोनों छटपटाते रहे. मगर किसी को रहम नहीं आया. इस घटना में राजीव बच गया था, लेकिन एक साल बाद उसको भी सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड
सीवान से चार बार आरजेडी सांसद रहे शहाबुद्दीन पर एक अग्रणी हिंदी दैनिक के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या में शामिल में होने का आरोप भी है. 13 मई 2016 की शाम बिहार के सीवान जिले में पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस सनसनीखेज वारदात के बाद सिवान समेत पूरे बिहार में खलबली मच गई थी. किरकिरी के बाद बिहार सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.
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1990 में पहली बार जीते थे चुनाव
सीवान के जिरादेई विधानसभा से शहाबुद्दीन ने पहली बार जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता था और विधानसभा पहुंचे थे. उस समय शहाबुद्दीन सबसे कम उम्र के जनप्रतिनिधि थे. दोबारा उसी सीट से 1995 में चुनाव में जीत दर्ज की. 1996 में वह पहली बार सिवान से लोकसभा के लिए चुने गए. एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें गृह राज्य मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन आपराधिक रिकॉर्ड की वजह से चूक गए थे.
HIGHLIGHTS
- 1990 में पहली बार जीते थे चुनाव
- पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में नाम आया
- चंदा बाबू के तीनों बेटों की निर्ममता से हत्या की