कोरोना की दूसरी लहर के बीच दवाओं और ऑक्सीजन से जुड़े उपकरणों की भारी मांग बढ़ी तो कालाबाजारी करने वालों की चांदी कटने लगी. लेकिन, दिल्ली पुलिस ने अप्रैल से अब तक अभियान की शक्ल में आवश्यक सामानों की कालाबाजारी करने वालों और धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर सख्त संदेश दिया है. चौंकाने वाली बात है कि सांसों का संकट का सामना करने वाले मरीजों को परिवारवालों को ऑक्सीजन सिलिंडर के नाम पर आग बुझाने में काम आने वाले फायर एंस्टीग्यूशर बेचने का भी खेल चल रहा. दिल्ली पुलिस अब तक 537 फायर एंस्टीग्यूशर बरामद कर चुकी है.
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दरअसल, दिल्ली में अप्रैल के पहले हफ्ते के बाद से कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ने लगी. ज्यादा संख्या में संक्रमितों की संख्या होने पर स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ भी बढ़ने लगा. इसी के साथ दिल्ली में ऑक्सीजन उपकरणों की डिमांड बढ़ गई है. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जहां समाज के सभी वर्ग अपने संसाधनों के साथ जुट गए, वहीं कुछ अराजक तत्वों ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश की. ऐसे लोगों ने बाजार में जरूरी उपकरणों और दवाओं की कृत्रिम कमी पैदा कर संकट के हालात उत्पन्न किए और फिर मुंहमागी कीमत पर बेचने लगे. ऐसे लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगातार दिल्ली पुलिस सर्च ऑपरेशन कर कार्रवाई करने में जुटी है.
13 अप्रैल से 6 मई के बीच दिल्ली पुलिस ने जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग के कुल 82 केस दर्ज किए. इसके अलावा 283 केस धोखाधड़ी के सामने आए. इस दौरान पुलिस ने 153 लोगों को गिरफ्तार किया. जिनके पास से 454 रेमडेसिविर इंजेक्शन, 90 242 ऑक्सीजन सिलिंडर्स, 726 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, 115 फ्लो रेगुलेटर्स, 49 ऑक्सीमीटर, 537 फायर एंस्टीग्यूशर मशीन, 18 ऑक्सीजन पंप, 413 पल्स ऑक्सीमीटर बरामद किए.
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हाल में हुई कार्रवाई के दौरान एक मामले में डॉक्टर और लैब असिस्टेंट तो दूसरे मामले में एक बिजनेसमैन का भी कनेक्शन सामने आया. चौंकाने वाली बात रही कि जरूरतमंदों की मदद के नाम पर धोखा देने का भी खेल चला. कुछ लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर आग बुझाने वाली मशीन फायर एंस्टिंग्यूशर बेचते मिले. इस मामले में एपिडमिक एक्ट के तहत एक केस भी दर्ज हुआ. नकली रेमडेसविर इंजेक्शन की पैकिंग और बेचने के मामले भी सामने आए.