दिल्ली-एनसीआर में किराए पर गाड़ियां लगाने का झांसा देकर सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये ठगने का ये अनोखा ही मामला है ठगी का यह धंधा आज से लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोग एक दूसरे के रेफरेंस पर ठगों के जाल में फंसते गए. एक माह पहले जब आरोपियों के फोन बंद हो गए और वह घर से लापता हो गए तो लोगों को ठगे जाने का अहसास हुआ. इस बाबत गांधी नगर पुलिस ने चीटिंग की दफाओं में केस दर्ज कर लिया था. शुरुआती जांच में मुख्य षड्यंत्रकारियों के तौर पर दो भाई सूरज और सचिन के नाम सामने आए हैं.
बताया जा रहा है कि आरोपियों के ठिकाने और ऑफिस दिल्ली-एनसीआर में अलग-अलग जगहों पर बने थे. इनके काम करने का तरीका अलग था. आरोपी भाइयों ने अपने पिता को एक बड़ी कंपनी का मालिक बताया था, उनके संपर्क ऊंचे लोगों से बताए. दोनों भाई खुद भी बड़ी गाड़यों में सायरन बजाते चलते थे, उनके आसपास हमेशा बाउंसर्स रहते थे. इस वजह से लोग उनसे प्रभावित होते गए. आरोपी ने दिल्ली के गांधीनगर सीमापुरी साहिबाबाद में अपने ऑफिस बनाए थे.
दोनों पर आरोप है कि उन्होंने तमाम लोगों को यही झांसा दिया कि उनकी गाड़ियां निजी और सरकारी उपक्रमों में अफसरों के पास चलती हैं, जिनके लिए बढ़ियां गाड़ियां ही लगती हैं. वह लोगों को उनका भला करने का झांसा देकर कहते कि वह खुद सारी गाड़ियां नहीं खरीद सकते हैं, जो लोग उनकी कंपनी में गाड़ी लगाते हैं, उन्हें गाड़ी के मॉडल के लिहाज से 50 हजार से 80 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. इस तरह लोग उनसे प्रभावित होते गए. लोगों ने नई लग्जरी गाड़ियों खरीदकर उन्हें सौंप दी, जिसके बाद कुछ लोगों को कुछ माह तक किश्त आई, जब किश्त आनी बंद हो गई तो आरोपी लापता हो चुके थे. उनकी गाड़ियां का भी कुछ पता नहीं है.
ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें गाड़ी पर लोन कराने में मुश्किल आई तो आरोपियों ने उनसे कैश लेकर उनके नाम खुद पुरानी गाड़ी खरीदने का झांसा दिया. बदले में उन्हें व्हाट्सएप पर उनकी गाड़ी के फोटो दिए. इस तरह से बिना कुछ किए लोगों से लाखों रुपये ऐंठते गए. लोगों के पास मोटी किश्त आने लगी तो उन्होंने और रकम उनकी स्कीम में लगा दी. लोगों ने जूलरी, फैक्ट्री और मकान तक गिरवी रखकर गाड़ियों में पैसे लगा दिए. आरोपियों की स्कीम से प्रभावित होकर लोगों ने अपनी फैक्ट्री, मकान और जूलरी तक गिरवी रखकर पांच लाख से लेकर 25 लाख तक दिए, अब वह बर्बाद हैं.
Source : अवनीश चौधरी