रेलवे सुरक्षा बल (RPF) का गुप्तचर मनी लॉन्डरिंग के लिए चेन्नई की एक ई-टिकटिंग कंपनी का उपयोग करता था. करोड़ों रुपये का टिकट घोटाला करने वाली इस कंपनी के तार अंतर्राष्ट्रीय टेरर फंडिंग गिरोह से जुड़े थे. आरपीएफ के शीर्ष सूत्रों ने खुलासा किया कि इस समूचे गोरखधंधे का पर्दाफाश बेंगलुरू की एक लड़की की मदद से हो पाया, जिसने पैन-इंडिया रैकेट के मास्टरमाइंड गुलाम मुस्तफा को हनीट्रैप के जाल में फंसाया था.
गुलाम मुस्तफा के लिए हनीट्रैप का जाल बिछाने में बेंगलुरू की लड़की की भूमिका के बाबत बताते हुए आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि वह मौजूदा हालात में जांच का ब्योरा साझा नहीं कर सकते, मगर यह पुष्टि करते हैं कि दुबई से ताल्लुक रखने वाले ई-टिकटिंग घोटाले के सरगना के लिए एक लड़की ने हनीट्रैप का जाल बिछाया था.
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ई-टिकटिंग घोटाले का पर्दाफाश पर्दाफाश करने को राजी हुई लड़की
सूत्रों ने कहा कि जब आरपीएफ ने बेंगलुरू में गिरोह पर धावा बोला, उसके बाद से महीनों भूमिगत रहे मुस्तफा से गुप्तचर को मिलाने का बंदोबस्त इसी लड़की ने किया. ऐश-मौज की जिंदगी जीने वाला मुस्तफा लाभदायक काम दिए जाने का प्रस्ताव दिए जाने पर लालच में फंस गया. गुप्तचर ने मुस्तफा के निजी फोन नंबरों की सूची से इस लड़की का नंबर लेकर उसकी पहचान की. वह बाद में देश में हुए सबसे बड़े ई-टिकटिंग घोटाले का पर्दाफाश करने को राजी हो गई.
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सूत्रों ने कहा कि मुस्तफा गुलाम और दुबई स्थित हमीद अशरफ 250 एजेंटों के जरिये इसे भारतभर में संचालित कर रहे थे. गिरोह एक रेल टिकट बुक करने के लिए आधुनिक साफ्टवेयर का इस्तेमाल करता था जिससे उसने अधिक दाम पर खरीदा था. टिकट का गोरखधंधा करीब करीब देश के हर जिले तक फैला हुआ है. इससे होने वाली कमाई का हर महीने 15 करोड़ रुपये मुस्तफा के खाते में भेजा जाता था. हालांकि यह राशि कुछ भी नहीं है और हमें संदेह है कि सैकड़ों करोड़ रुपये बाहर भेजा जाता था.
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जांच में खुलासा हुआ है कि चेन्नई स्थित एक कंपनी फंड के ट्रांसफर से जुड़ी हुई है. आरपीएफ ने वित्त मंत्रालय के अधीन केंद्रीय एजेंसियों से मदद मांगी है जिससे वे अंतर्राष्ट्रीय हवाला और क्रिप्टो करेंसी सिंडिकेट का खुलासा कर सकें. यह सिंडिकेट बांग्लादेश से लेकर पाकिस्तान तक फैला हुआ था. सूत्रों ने कहा कि भारत की विदेशों में काम करने वाली खुफिया शाखा भी अशरफ और मुस्तफा के आतंकी संलिप्तता की जांच कर रही है. अशरफ अपना संचालन दुबई से करता था और उसके पाकिस्तान स्थित संगठनों से संपर्क थे. वह इससे पहले उत्तर प्रदेश में बम विस्फोट में शामिल था.
अशरफ के अलावा मुस्तफा गुलाम ढाका में संदिग्ध के तौर पर काम कर रहा था और वह पाकिस्तान के जेहादियों के साथ संपर्क में था. आरपीएफ को हालांकि अभी और सबूतों का इंतजार है, जिससे वह साबित कर सके कि अशरफ और मुस्तफा आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे थे और कमाई का हिस्सा वे आतंकी संगठनों को ट्रांसफर कर रहे थे.