मथुरा पुलिस ने अपनी 5 वर्षीय बेटी को 500 रुपये में बेचने की कोशिश करने के आरोप में एक मानसिक रूप से अस्थिर महिला को हिरासत में लिया है. मासूम बच्ची को बेचने का यह उनका पहला प्रयास नहीं है. सात साल पहले उसने अपने सबसे बड़े बच्चे और खुद को एक आदमी को 40,000 रुपये में बेच दिया था. वो आदमी अब उसका पति है. बाल कल्याण समिति मथुरा के आदेश पर महिला की दोनों छोटी बेटियों को जिला प्रशासन ने हिरासत में लेकर सरकारी बाल आश्रय गृह भेज दिया है.
समिति ने यह जानने के बाद कि छह साल पहले महिला ने कथित तौर पर अपनी बड़ी बेटी को पंजाब के एक निवासी को बेच दिया था, मथुरा की मानव तस्करी रोधी इकाई द्वारा एक जांच भी गठित की है. बाल कल्याण समिति की सदस्य स्नेहलता चतुवेर्दी ने कहा, हम मामले की जांच कर रहे हैं और अगर कोई दोषी पाया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक नरेंद्र परिहार ने संवाददाताओं को बताया कि उन्हें शनिवार शाम उनके टोल फ्री नंबर 1098 पर फोन आया कि राजवीर कौर नाम की एक महिला अपनी छोटी बेटी को 500 रुपये में बेचने की कोशिश कर रही है.
3 सदस्यीय टीम तुरंत मौके पर पहुंची और उन्हें थाने ले गई. सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, वे लड़कियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा जांच के लिए ले गए जहां रविवार को कोविड परीक्षण भी किया गया. लड़कियों के परीक्षण नकारात्मक होने के बाद, उन्हें सरकारी बाल आश्रय गृह भेज दिया गया.
महिला के बैग में कुछ मोबाइल नंबर मिला और जब पुलिस ने इनमें से एक नंबर पर संपर्क किया तो जस्सा सिंह नाम के शख्स ने बताया कि वह पंजाब का रहने वाला है और महिला उसकी पत्नी है जो पिछले चार, पांच महीने से लड़कियों के साथ लापता है.
उसने उन्हें यह भी बताया कि उसने महिला को उसकी बड़ी बेटी, जो अब 7 साल की है, के साथ लगभग 6 साल पहले 40,000 रुपये में खरीदा था. पुलिस ने कहा कि जस्सा सिंह जांच में शामिल होने मथुरा आ रहा है. मामले की अब मानव तस्करी के एंगल से जांच की जा रही है.