उत्तराखंड के हरिद्वार में पुलिस ने एक नकली नोट बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. इस मामले में पुलिस छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से सवा दो लाख रुपये के नकली नोट बरामद हुए हैं. आरोपियों ने बताया कि यूट्यूब पर नकली नोट छापने से जुड़े वीडियों देखने के बाद उनके मन में ये खुराफात जागी. ये लोग देहरादून में सुद्दोवाला और दून एनक्लेव, पटेलनगर में किराए के मकान में रहे और जाली नोट का धंधा शुरू कर दिया.
हरिद्वार पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, आरोपियों नाम सौरभ, निखिल कुमार, अनंतबीर, नीरज, मोहित और विशाल हैं. सभी यूपी के निवासी हैं. सहारनपुर जिले के देवबंद के निवासी सौरभ अपने गांव के दो सगे भाइयों विशाल और नीरज को जानता था. ये देहरादून में रह रहे थे. नीरज 5वीं पास था और विशाल 8वीं फेल था. दोनों दोस्त शुरू से शातिर थे. उनके साथ बार में सौरभ भी मिल गया. सौरभ देहरादून आ गया. दोनों भाइयों की लाइफस्टाइल से वह काफी प्रभावित हुआ. दोनों भाई नकली कारोबार में काफी पहले से थे.
निखिल कुमार था मास्टरमाइंड
हरिद्वार पुलिस के अनुसार, विशाल ने सौरभ की जान-पहचान सहारनपुर के निवासी मोहित से कराई. वे 12वीं पास था. मोहित भी देहरादून के सुद्धोवाला में किराए के मकान में रहता था. उसने यहां पर नोट छापने का काम शुरू किया. इस काम में मोटे मुनाफे को देखते हुए सौरभ उनके साथ शामिल हो गया. मोहित के साथ सौरभ की मुलाकात सरसावा निवासी निखिल से हुई. निखिल कुछ समय के लिए हरिद्वार में रहकर नौकरी की. नामी कंपनी में गार्ड की नौकरी से जब शौक पुरे नहीं हुए, तब निखिल ने 500 के नकली नोट छापकर अमीर बनने का शार्टकट अपनाया. वह पूरे केस का मास्टरमाइंट हो गया.
इस राज्य से हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने बताया कि वर्ष 2021 में नकली नोट बनाने के मामले में निखिल और मोहित को हिमाचल प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. यहां पर दोनों ने 5 माह तक जेल में रहे. बाद में जमानत पर बाहर आए. इनमें कोई सुधार नहीं देखा गया. इन्होंने दोबारा से इस काम में हाथ आजमाना शुरू कर दिया. उन्होंने भरोसेमंद लोगों को साथ जोड़ा. इस तरह से नकली नोटों का बाजार आसानी से चला सके. इनसे बाद में अनंतवीर जुड़ा. 2001 में आर्मी में बंगाल इंजीनियरिंग में भर्ती हुआ. उसने 2004 में हादसा होने में आर्मी स्कूल छोड़ दिया था.