Advertisment

Exam Stress Management: माता-पिता बोर्ड परीक्षा के समय बच्चों का ऐसे रखें ध्यान

बोर्ड परीक्षा के दबाव और तनाव में आता है तो उसमें शारीरिक, व्यावहारिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक परिवर्तन आ जाते हैं

author-image
Akanksha Tiwari
एडिट
New Update
Exam Stress Management: माता-पिता बोर्ड परीक्षा के समय बच्चों का ऐसे रखें ध्यान

(फाइल फोटो)

इस प्रतियोगी दौर में बच्चों के ऊपर पढ़ाई, परीक्षा और इसके बाद बेहतर करने का दबाव इतना ज्यादा है कि एकाग्र होकर पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है. हर समय सबसे अच्छा करने या बेहतर परिणाम लाने की चिंता में वे कुछ भी ढंग से कर नहीं पाते हैं. मनोचिकित्सक डॉ. अनुनीत साभरवाल कहते हैं, 'एक विद्यार्थी जब बोर्ड परीक्षा के दबाव और तनाव में आता है तो उसमें शारीरिक, व्यावहारिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक परिवर्तन आ जाते हैं. इन्हें देखना और पहचानना उसके माता-पिता और उससे जुड़े लोगों का काम है.'

Advertisment

यह भी पढ़ें- Admission Alert: JNU Admissions 2019-20: कल से शुरू होगा JNU में एडमिशन का प्रॉसेस, यहां करें रजिस्ट्रेशन

दरअसल, किसी भी तरह के डर या मांग के बदले में शरीर इसी तरह से प्रतिक्रिया करता है और व्यक्ति तनाव में आ जाता है. उसके नर्वस सिस्टम से तनाव वाले हार्मोन्स एड्रेनेलाइन और कॉर्टिसोल का स्राव होने लगता है, जो शरीर को इमरजेंसी एक्शन लेने के लिए उकसाता है. 'अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव सिंड्रोम' से पीड़ित बच्चों की मदद करने वाली संस्था 'मॉम्स बिलीफ' से जुड़ीं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. मालविका समनानी कहती हैं, 'विद्यार्थियों में परीक्षा के तनाव का संबंध एडीएचडी से हैं. यह संबंध सकारात्मक तो कतई नहीं है, बल्कि यह छत्तीस का आंकड़ा है. लिहाजा, इन दोनों का एक साथ होना खतरनाक हो सकता है.'

यह भी पढ़ें- ये 5 फूड खाने से स्‍टूडेंट परीक्षा के तनाव से रहेंगे दूर और मन-मस्तिष्‍क होगा मजबूत

Advertisment

एडीएचडी से प्रभावित बच्चों का ध्यान बहुत जल्द भटक जाता है. इसके बावजूद उन्हें भी आम विद्यार्थियों की तरह हर चुनौती का सामना करना होता है. जैसे- अपनी चीजें सही जगह पर रखना, समय का ध्यान रखना और सवालों का का हल करना. यह सब इन बच्चों के जीवन को अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण बनाता है.

डॉ. सममानी आगे कहती हैं, 'परीक्षा के दौरान तो विशेष तौर पर एडीएचडी से परेशान बच्चों का तनाव कई गुना बढ़ जाता है. इन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो सुनने में तो आम लगती हैं, लेकिन इनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं.

यह भी पढ़ें- घूमने के हैं शौकीन, तो जाएं हिमाचल प्रदेश के इन 10 स्थानों पर

Advertisment

ये हैं समस्याएं

  • डाटा या कॉन्सेप्ट को पहचानने में कठिनाई
  • विचार बनाने या व्यक्त करने में कठिनाई
  • समय का ध्यान नहीं रहना
  • एकाग्रता में कमी, ध्यान का भटकना
  • निर्देर्शो का पालन नहीं कर पाना
  • जल्दबाजी में गलतियां कर देना

परीक्षा के दौरान इन बच्चों का तनाव कम करने के लिए उनके माता-पिता उन्हें ट्यूशन या रेमेडी क्लास भेजकर उनके तनाव को कुछ कम जरूर कर सकते हैं. स्कूल भी यदि अपनी जिम्मेदारी समझकर कक्षाएं समाप्त होने के बाद एडीएचडी विद्यार्थियों के लिए विशेष प्रोग्राम का आयोजन कर सकते हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ें- आज ही के दिन भारत की पहली बोलती फिल्म 'आलमआरा' का मुम्बई में प्रदर्शन हुआ था, जानिए आज का दिन इतिहास के पन्नों में

दसवीं की परीक्षा दे रहे मनन श्रीवास्तव की मां रेणु श्रीवास्तव कहती हैं, 'मैं अपने बच्चे को यही समझाती हूं कि परीक्षाएं भी खेल की तरह ही हैं और तुम्हें इतना स्मार्ट होना है कि तुम इसे अच्छे से खेल सको. इसके बाद चिंता करने की जरूरत कतई नहीं है. परीक्षा के परिणाम पर ध्यान देने की बजाय परीक्षा की तैयारी में लगे रहो. यह कह देने भर से ही उसका मानसिक तनाव कम हो जाता है.'

उन्होंने कहा, 'इससे बच्चे को भावनात्मक सहयोग मिलता है, वह आत्मविश्वास से लबरेज हो उठता है. इस दौरान मैं और परिवार के अन्य लोग टीवी देखने, गाना सुनने या कुछ ऐसा करने से परहेज करते हैं, जिससे उसका ध्यान बंटे. इस दौरान मैं गैजेट्स के इस्तेमाल पर नियंत्रण लगाती हूं. हालांकि, मेरा बेटा ऑनलाइन ट्यूटोरियल की मदद जरूर लेता है, ताकि उसे विषय को समझने में आसानी हो. वह ऑनलाइन ग्रुप स्टडी भी करता है.'

Advertisment

यह भी पढ़ें- Holi 2019: विश्व प्रसिद्ध मथुरा की होली क्यों होती है खास, जानें कैसे पहुंच सकते हैं मथुरा

वहीं, डॉ. साभरवाल कहते हैं कि दबाव और तनाव के स्तर को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि विद्यार्थी हर पौने घंटे की पढ़ाई के बाद दस- बीस मिनट तक का ब्रेक लें. इस ब्रेक के दौरान आउटडोर गेम्स खेले जा सकते हैं. खेल ऐसा माध्यम है, जो शरीर को ऑक्सीटॉनिक्स हार्मोन निकालने में सहायता करता है. पढ़ाई के दौरान होने वाले तनाव से मुक्ति के लिए ये हार्मोन शरीर और मस्तिष्क के लिए रिलैक्सेशन थेरेपी का काम करते हैं. साथ ही माता- पिता को चाहिए कि वे लगातार अपने बच्चे से बात करते रहें, ताकि उसके अंदर चल रही बातों का पता चल सके.

Source : IANS

board exam 2019 exam fobia how to release stress in exam time stress management in exam time stress management Attention Deficit Hyperactive Syndrome stress in students
Advertisment
Advertisment