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CBSE-ICSE 12वीं परीक्षा रद्द करने पर बोला SC-जनहित में लिया फैसला

जस्टिस खानविलकर ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या आप 20 लाख छात्रों की, उनको परीक्षा में बैठाने की तैयारियों की जिम्मेदारी लेगे. उन्होंने कहा कि ये पता नहीं कि एग्जाम कब होंगे. ये बच्चो की मनोदशा पर असर डालेगा.

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Karm Raj Mishra
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Supreme Court

Supreme Court ( Photo Credit : News Nation)

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CBSE और ICSE बोर्ड द्वारा 12वीं की परीक्षा रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज (मंगलवार को) एक बार फिर से सुनवाई हुई. इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस खानविलकर ने कहा कि हर एक परीक्षा अलग है. हर एक का अलग बोर्ड है. CBSE बोर्ड ने जनहित में परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया है. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि स्थिति लगातार बदल रही है. ये पता नहीं कि एग्जाम कब होंगे. ये बच्चो की मनोदशा पर असर डालेगा. जस्टिस खानविलकर ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या आप 20 लाख छात्रों की, उनको परीक्षा में बैठाने की तैयारियों की जिम्मेदारी लेगे.

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एक याचिकाकर्ता अंशुल गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि जो बच्चे 12वीं क्लास में शमिल होने थे, वे NDA और दूसरे प्रतियोगी परीक्षाओं में पेश होंगे. क्या सिर्फ 12वीं परीक्षा कोविड खतरे का कारण बन सकती है, दूसरी नही. ये तो सम्भव नही है. फिर 12 वी परीक्षा को रद्द करने का क्या औचित्य है. जिसके बाद जस्टिस खानविलकर ने कहा कि छात्रों ने कोर्ट में याचिका दायर की. परीक्षा में पेश होने के लिए अपनी असमर्थता जाहिर की. इसके बाद परीक्षा रद हुई. क्या आप चाहते है कि ये फैसला पलटकर फिर से 20 लाख छात्रों को अधर में डाल दें. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि CBSE/ICSE परीक्षा रद्द करने के फैसले को किसी की व्यक्तिगत अवधारणा से नहीं तय किया जा सकता. ये बड़े जनहित में लिया गया फैसला था. हम प्रथम दृष्टया सरकार के इस फैसले से सहमत थे.

कोर्ट में यूपी पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से पेश विकास सिंह ने कहा कि ICSE का कहना है कि वैकल्पिक परीक्षा को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. मेरे ख्याल से दोनों बोर्ड की एक-तरफा परीक्षा रद्द करने के बजाए ये फैसला स्कूलों और छात्रो पर छोड़ देना चाहिए कि वो फिजिकल एग्जाम में पेश होना चाहते है या नहीं. जिस पर जस्टिस खानविलकर ने कहा कि स्कूल कैसे अपने स्तर पर ये फैसला ले सकते हैं. जस्टिस खानविलकर ने विकास सिंह को फटकार लगाते हुए कहा कि कृपया बेतुकी सलाह न दें. 

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जस्टिस खानविलकर ने कहा कि जो छात्र मार्किंग के तरीके से सहमत नहीं, वो आगे चलकर होने वाले फिजिकल एग्जाम में पेश हो सकते हैं. खुद स्कीम में इसका प्रावधान है. किसी छात्र को इस मॉकिंग स्कीम से दिक्कत हो, वो हमारे सामने अपनी बात रख सकते हैं. वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि स्कुलों के पास फैसला लेना का अधिकार नहीं है, पर छात्रो के पास जरूर है. उनके पुराने परफॉर्मेंस के आधार पर उन्हें आंका जाएगा. अगर वो इससे सन्तुष्ठ नहीं तो आगे परीक्षा में बैठ सकते है. उनके लिए वैकल्पिक परीक्षा में आये अंक ही फाइनल होंगे.

HIGHLIGHTS

  • परीक्षा रद्द करने के फैसले का कोर्ट ने किया समर्थन
  • 20 लाख छात्रों की जिम्मेदारी कौन लेगा- सुप्रीम कोर्ट
  • जो छात्र मार्किंग के तरीके से सहमत नहीं वो परीक्षा दे सकते हैं- SC
Modi Government Supreme Court सुप्रीम कोर्ट झारखंड बोर्ड 12वीं रिजल्ट मोदी सरकार CBSE और ICSE की 12वीं परीक्षा रद्द Supreme Court on 12th Exam Plea against CBSE and ICSE 12th exam canceled
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