Advertisment

गजब की प्रतिभा: 13 साल के तन्‍मय को Google ने दी 66 लाख की सैलरी, IITian बन गए सत्‍यम

किसी ने सच ही कहा है कि 'होनहार वीरवान के होत चिकने पात'. यहां यह कहावत भी छोटी पड़ जाती है जब हम बात बिहार के सत्यम और भारतवंशी तन्‍मय बख्‍शी की करते हैं.

author-image
Drigraj Madheshia
New Update
गजब की प्रतिभा: 13 साल के तन्‍मय को Google ने दी 66 लाख की सैलरी,  IITian बन गए सत्‍यम

सचिन तेंदुलकर के साथ सत्‍यम और दाएं तन्‍मय बख्‍शी

Advertisment

12 साल की उम्र होती ही क्‍या है? दुनिया भर में इस उम्र के बच्‍चे मोबाइल में वीडियो गेम, टीवी पर कार्टून देख रहे होते हैं या फिर होम वर्क और ट्यूशन में बिजी होते हैं. लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि 'होनहार वीरवान के होत चिकने पात'. यहां यह कहावत भी छोटी पड़ जाती है जब हम बात बिहार के सत्यम और भारतवंशी तन्‍मय बख्‍शी की करते हैं.

12 वर्ष साल की उम्र में दुनिया का सबसे कठिन परीक्षा आइआइटी (IIT) पास कर सत्यम आज फ्रांस में इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए मिसाल बन गया है. तो इत्‍ती सी ही उम्र में तन्‍मय बख्‍शी को गूगल ने इतनी सैलरी पर रख लिया जितनी कि कंपनियों के सीईओ की नहीं होती होगी. गूगल ने जब तन्‍मय को 65 लाख महीने की सैलरी पर रखा तो वह छठी कक्षा में था और स्‍कूल छोड़कर घर पर पढ़ाई कर रहा था. आज इन दोनों होनहारों के बारे में हम बात करने जा रहे हैं. सबसे पहले बात तन्‍मय की..

तन्मय बख़्शी: 9 साल की उम्र में iphone के लिए पहला एप 

आज 15 साल के हो चुके तन्मय बख़्शी भारतीय मूल के हैं. तन्मय के परिवार ने 2004 में कनाडा का रुख़ किया और तबसे उनका परिवार ब्रैम्पटन शहर में रहता है. 9 साल की उम्र में iphone के लिए पहला एप बनाने वाले तन्मय 5 साल की उम्र से ही कोडिंग कर रहे हैं, जिसे वो बचपन में खेल समझते थे आज वह उनका जुनून है. अपने सॉफ्टवेयर इंजीनियर पिता और मां के लाड़ले तन्मय घर में सबसे छोटे हैं, हालांकि शुरूआती दौर में उन्होंने असफ़लता भी देखी लेकिन जल्द ही बड़ी कामयाबी उनके हाथ लगी. आज वे दुनिया के सबसे छोटी उम्र के IBM वॉटसन डेवलपर हैं, TedX सहित वे apple के मुख्यालय, अमेरिका, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया आदि के कई शहरों में अपने keynotes देते आए हैं.

यह भी पढ़ेंः बिहार के पहले न्यूरो सर्जन का अमेरिका में हुआ निधन

तन्मय की प्रतिभा को देखते हुए गूगल ने इसे 66 लाख रुपये महीने के वेतन पर नियुक्त किया . छठी कक्षा के बाद तन्मय ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी. तब से वह घर पर ही पढ़ाई (होम स्कूलिंग) कर रहे हैं. इस होनहार का वह अद्भुत साक्षात्कार सुनिए, जिसके बाद गूगल ने उसे अपने यहां जॉब की ऑफर दी. सुनिए कि किस तरह इस भारतीय बच्चे ने गूगल के धुरंधरों के पसीने छुड़ा दिए.

तन्मय से पहला सवाल है कि आप करते क्या हो? उसका पहला ही जवाब सुनकर इंटरव्यू बोर्ड का चेयरमैन पसीने पोंछने लगा. बहरहाल, गूगल ने उसे नियुक्त करते हुए यह शर्त रखी कि वह बाकी सारी पढ़ाई छोड़-छाड़कर सिर्फ और सिर्फ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर काम करेगा. तन्मय की खास रुचि कंप्यूटर की नई भाषा गढ़ने और उसके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता को पूरी तरह मानव मस्तिष्क की तरह विकसित करने में है. माना जा रहा है कि वह भविष्य का महान कंप्यूटर वैज्ञानिक बनेगा.

फ्रांसिसी छात्रों को भारतीय शिक्षा पद्धति का गुर सीखा रहा सत्यम

सत्यम फ्रांसिसी छात्रों को भारतीय शिक्षा पद्धति का गुर सीखा रहा है. सत्यम के कायल कई फ्रांसिसी छात्र हैं जो उनसे पढ़ना चाहते हैं. बिहार के भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के बखोरापुर निवासी रामलाल सिंह का पोता सत्यम कुमार (16) आज से चार साल पहले IIT पास किया था. इसके साथ ही सत्यम ने बिहार का नाम रोशन किया था. इससे सत्यम का नाम पूरी दुनिया में छा गया था. फिलहाल सत्यम आइआइटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल ब्रांच का छात्र है.

यह भी पढ़ेंः Gold Price Today: सोने ने रचा इतिहास, पहली बार 40 हजार के पार, कमा सकते हैं मोटा मुनाफा

इसी बीच फ्रांस में समर रिसर्च इन्टर्न के अवसर पर ‘ब्रेन कम्प्यूटर इन्टरफेसेज’ विषय पर रिसर्च के लिए सत्यम का चयन कर लिया गया है. उसका चयन फ्रांस के चार्पैक स्कॉलरशीप तथा भारत सरकार में ‘ए सर्विस ऑफ दी एम्बेसी’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘टू प्रमोट हाईयर एजुकेशन इन फ्रांस’ के लिए गया है.

Source : दृगराज मद्धेशिया

Bihar Google IBM satyam Tanmay Bakshshi
Advertisment
Advertisment
Advertisment