अब आईआईएम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को डिप्लोमा की जगह डिग्री मिल सकेगी। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पास करवाने के तैयारी में है।
शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर शुक्रवार को अहमदाबाद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आईआईएम के फेकल्टी के साथ बातचीत की। प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि 20 सितम्बर को शिलांग में एक बार फिर आईआईएम के अलग-अलग संस्थानों के सभी निदेशकों और चेयरमेन से बातचीत करेंगे। इस बैठक की अध्यक्षता खुद केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे।
इस बिल के मुताबिक सभी आईआईएम के बीच एक कॉर्डिनेशन फोरम बनेगा लेकिन इस फोरम के पास फैसले लेने की पावर नहीं होगी। यह फोरम सिर्फ सुझाव दे सकता है। आईआईएम के विजिटर भारत के प्रेजिंडेट होंगे और उनके पास आईआईएम चेयरपर्सन और डायरेक्टर नियुक्त करने का अधिकार होगा।
विजिटर के पास यह पावर नहीं होगी कि वह किसी भी आईआईएम के कार्यो को रिव्यू कर सके। सूत्रों के मुताबिक, फाइनल बिल ड्राफ्ट में फीस तय करने का अधिकार आईआईएम के पास ही रखा गया है।
अभी तक आईआईएम मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा देते हैं, जिसे एमबीए के बराबर माना जाता है। इसी तरह आईआईएम की फैलोशिप को पीएचडी के बराबर माना जाता है।
दरअसल भारत में तो इसे लेकर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जब स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए या नौकरी के लिए बाहर के देशों में जाना होता है तो दिक्कत होती है। उनकी फैलोशिप को यूरोपियन देशों में पीएचडी के बराबर नहीं मानते।
ऐसे में आईआईएम बिल पास हो जाने के बाद आईआईएम अपने स्टूडेंट्स को डिग्री दे सकेंगे।
Source : News Nation Bureau