Chandrayaan 2 Landing Live जितनी बेसब्री चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)के चांद पर उतरने की पूरे देश को है वहीं इस मिशन में अपना दिन-रात करने वाले ISRO के वैज्ञानिकों को भी है. साथ ही पूरी दुनिया की नजरें भी उस ऐतिहासिक क्षण पर होगी, जिस क्षण चांद की सतह पर चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)की सॉफ्ट लैंडिंग होगी. लेकिन आप चांद और चंद्रयान के बारे में कितना जानते हैं? चलिए इन आसान से सवालों को देखें और जवाब दें. उत्तर नीचे दिए गए हैं.
1. चंद्रयान-2 कब छोड़ा गया?
2.चंद्रमा का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण ?
3. चंद्रयान-2 कितने उपकरण ले जा रहा है?
4. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर मिशन कितने समय तक चलेगा?
5. चंद्रमा पर जीवन है या नहीं?
6. चंद्रमा का एक भाग क्यों दिखाई देता है ?
7. चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी कितनी है?
8. चंद्रमा पृथ्वी से कितना अलग है?
9. चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में फर्क क्या है?
10. चंद्रयान-2 का उद्देश्य क्या है?
11. विक्रम चंद्रमा पर कब उतरेगा?
12. रोवर चंद्रमा पर कितनी दूरी चलेगा?
13. चंद्रमा पर तापमान कितना होता है?
14. चंद्रयान-1की उपलब्धि क्या रही?
प्रश्नों के उत्तर
1. चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई 2019 को जीएसएलवी-एमके III एम-1 से छोड़ा गया था.
2. चंद्रमा के अस्तित्व में आने और उसके क्रमिक विकास से जुड़ी जानकारी प्राप्त करके हमें समूचे सौरमंडल और हमारी पृथ्वी का इतिहास समझने में सहायता मिलेगी.
3. ऑर्बिटर में चंद्रमा की सतह का मानचित्र बनाने और वहां के वायुमंडल (बाहरी वातावरण) के अध्ययन के लिए आठ वैज्ञानिक पे-लोड रखे गए हैं. लैंडर में चंद्रमा की सतह और उपसतह के परीक्षणों के लिए तीन वैज्ञानिक पे-लोड लगाए गये हैं. रोवर में दो पे-लोड हैं जिनसे हमें चंद्रमा की सतह के बारे और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी. नासा में भी एक अप्रत्यक्ष परीक्षण चंद्रयान-2 से किया जाएगा.
4. ऑर्बिटर का मिशन कार्यकाल एक वर्ष होगा जबकि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का कार्यकाल चंद्रमा के एक दिन यानि पृथ्वी के 14 दिनों का होगा.
5. अभी तक किसी चंद्र मिशन को चंद्रमा पर जीवन होने के प्रमाण या संकेत नही मिले हैं.
6. चंद्रमा के परिक्रमा करते रहने के कारण पृथ्वी की तरफ उसका वही एक भाग दिखाई देता है. इसका कारण यह है कि पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के चंद्रमा के घूमने की गति इतनी कम हो जाती है कि उसे अपनी धूरी पर घूमने में उतना ही समय लगता है जितना उसे पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने में लगता है जो 27 दशमलव तीन दिन के बराबर है.
7. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 3,84,000 किलोमीटर है.
8. चंद्रमा का व्यास करीब 3,476 किलोमीटर है जो पृथ्वी के व्यास का एक चौथाई है. चंद्रमा का भार पृथ्वी के भार से 81 गुणा कम है. चंद्रमा की सतह पर गुरूत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के सिर्फ छठे भाग जितनी है. चंद्रमा पर पृथ्वी जैसा वायुमंडल नही है और इसीलिए वहां तरल पानी नही है.
9. चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर अपना ''विक्रम'' मॉड्यूल उतारने की कोशिश करेगा और छह पहियों वाले रोवर ''प्रज्ञान'' को चांद पर फिट कर देगा और इसके जरिए कई वैज्ञानिक परीक्षण किए जाएंगे. जबकि चंद्रयान-1 यह कार्य नही कर पाया था. चंद्रयान-1 का लिफ्ट ऑफ भार 1380 किलोग्राम था जबकि चंद्रयान-2 का भार 3850 किलोग्राम है.
10. चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा पर उतकर उसकी सतह के अध्ययन के लिए रोवर फिट करना है ताकि चंद्रयान-1 के वैज्ञानिक कार्यों का दायरा और बढ़ाया जा सके.
11. चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के 7 सितम्बर 2019 को उतरेगा.
12 रोवर चंद्रमा पर उतरने की जगह से पांच सौ मीटर की दूरी तक चल सकता है.
13. चंद्रमा का तापमान अत्यधिक ज्यादा और अत्यधिक कम है. इसके जिस भाग पर सीधे सूर्य की रोशनी पड़ती है वहां 130 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होता है और बेहद गर्मी रहती है. पर रात के वक्त यह शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है और जबर्दस्त ठंड रहती है.
14. चंद्रयान-1 चंद्रमा पर पानी होने की पक्की पुष्टि की. यह खोज सबसे अलग थी. चंद्रयान-1ने चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी जमा होने की भी खोज की. इसने चंद्रमा की सतह पर मैग्निशियम, एल्युमिनियम और सिलिकॉन होने का भी पता लगाया. चंद्रमा का वैश्विक मानचित्र तैयार करना इस मिशन की एक और बड़ी उपलब्धि थी.
Source : शंकरेष के.