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Students Suicide: हर साल क्यों करते हैं छात्र आत्महत्या,पढ़ाई में प्रेशर केवल भारत में या विदेशों में भी है यही हाल?

अक्सर स्टूडेंट्स बचपन से सपना देख लेते हैं, साथ ही माता-पिता भी अपने बच्चों से उम्मीद पाल लेते हैं, जिसका खामियाजा ये होता है कि वे अपने पैरेंट्स से अपनी परेशानी भी नहीं बता पाते. साथ ही कोटा में हर तरफ इतना कॉम्पटिशन है कि बच्चे उस प्रेशर को झेल नही

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Priya Gupta
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kota Students Suicide Sase( Photo Credit : Social Media)

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Students Suicide Case In India:  भारत में आज के समय में भी इंजीनियर और डॉक्टर जैसे प्रोफेशन को बेस्ट माना जाता है. शायद यही वजह होगी कि ज्यादातर बच्चे या तो इंजीनियर बनना चाहते हैं या डॉक्टर. इन दो फील्ड में काफी ज्यादा संख्या में स्टूडेंट्स एग्जाम देते है. इंजीनियरिंग के बेस्ट कॉलेजों में एडमिशन लेने के लिए जेईई मेन्स की परीक्षा आयोजित कराई जाती है. जेईई मेन्स और जेईई एडवांस्ड ये दोनों परीक्षा इंजीनियर बनने वाले बच्चों के लिए जरूरी है. क्योंकि भारत के बेस्ट कॉलेजों में एडमिशन लेने के लिए जेईई मेन्स का स्कोर मांगा जाता है. हर साल दो बार एनटीए की ओर से परीक्षा का आयोजन किया जाता है.

लाखों स्टूडेंट्स इस परीक्षा में शामिल होते हैं लेकिन सलेक्शन केवल कुछ हजार का ही होता है. जेईई मेन्स परीक्षा की तैयारी करने के लिए राजस्थान का कोटा काफी फेमस है, लेकिन कोटा परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ स्टूडेंट्स के सुसाइड के लिए भी काफी चर्चा में रहता है. पिछले कुछ सालों में कोटा में होने वाले सुसाइड के मामले बढ़े हैं. पुलिस की ओर से जारी आंकडों के मुताबिक,  साल 2022 में 18 छात्रों ने आत्महत्या की, 2019 में 18 छात्रों ने 2018 में 20 छात्र ने आत्महत्या की थी. साल 2024 में ये आंकड़े बढ़े ही है.  इसके अलावा नीट परीक्षा के बच्चों का भी वही हाल है. मेडिकल इंजीनियरिंग करने वाले बच्चों का मेंटल प्रेशर इतना बढ़ते देखा गया है कि उन्होंने अपनी जान ले ली.

क्यों ही रही है ये आत्महत्याएं

अक्सर स्टूडेंट्स बचपन से सपना देख लेते हैं, साथ ही माता-पिता भी अपने बच्चों से उम्मीद पाल लेते हैं, जिसका खामियाजा ये होता है कि वे अपने पैरेंट्स से अपनी परेशानी भी नहीं बता पाते. साथ ही कोटा में हर तरफ इतना कॉम्पटिशन है कि बच्चे उस प्रेशर को झेल नहीं पाते और अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लेते हैं. हालांकि ज्यादातर केस में आए रिपोर्ट मेंटल प्रेशर ही बताते हैं. 

साल 2021 में आई WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लगभग 703,000 लोग आत्महत्या कर लेते हैं. लेकिन क्या ये केवल भारत में ही होता है, विदेशो का हाल क्या है. पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो ABP की रिपोर्ट के मुताबिक, राजाना 15 से 35 लोग आत्महत्या कर लेते हैं. इनमें अधिकतर 15 साल 50 साल के लोग होते हैं. वहीं चीन में इस तरह के मामले सामने देखने को मिलते हैं. साल 2000 से लेकर 2019 के बीच ग्रेजुएट छात्रों की आत्महत्या के कुल 150 मामले सामने आए है. 

एक्सपर्ट्स ने बताया बच्चों का बचाने का तरीका

मनोवैज्ञानिक रुचि शर्मा ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य खराब होना, तनाव, चिंता और अवसाद से निपटने के लिए सबसे बड़ी भूमिका शिक्षण संस्थानों की है. उन्हें स्टूडेंट्स के मेंटल हेल्थ को लेकर सीरियस रहना चाहिए. छात्रों के लिए रेलुगर काउंसलिंग जरूरी है.

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Source : News Nation Bureau

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