सिर्फ एक घटना ने करा दिया 'UPSC क्रैक' मां करती है मनरेगा में काम, जानें क्या है हेमंत की सक्सेज स्टोरी

Story 0f Success: एकाग्र मन, सच्ची लगन और कड़ी मेहनत करने का जज्बा है तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं. इन शब्दों को चरितार्थ कर दिखाया है राजस्थान के हेमंत ने.

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Sunder Singh
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फाइल फोटो ( Photo Credit : News nation)

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Story 0f Success:  एकाग्र मन, सच्ची लगन और कड़ी मेहनत करने का जज्बा है तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं.  इन शब्दों को चरितार्थ कर दिखाया है राजस्थान के हेमंत ने. जानकारी के मुताबिक हेमंत की मां गांव में मनरेगा कार्यकर्ता है और पिता पुरोहित का काम करते हैं. लेकिन बजपन की एक घटना ने हेमंत को झकझौर दिया. जिसके बाद हेमंत को यूपीएससी के सिवा कुछ दिखता ही नहीं था. दिल्ली आकर पढ़ाई शुरू की और हाल ही में जारी हुए यूपीएससी के रिजल्ट में  884वीं रैंक हांसिल की. यही नहीं हेमंत दिव्यांग भी हैं, दिव्यांगता की चुनौती को सहजता से स्वीकारते हुए हेमंत ने वो कर दिखाया, जिसका सपना देश के करोड़ों युवा देखते हैं. 

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इस घटना ने बदल दी जिंदगी
दरअसल, हेमंत की गांव में मजदूरी करके अपनी आजीविका चलाती है. सालों पहले उसकी मां को एक ठेकेदार ने दिहाड़ी देने  से इंकार कर दिया था.  जिसके लिए हेमंत ने कई सरकारी कार्यालयों के चक्कर भी काटे. लेकिन हर जगह से उसे सिर्फ उपहास ही मिला. साथ ही एक ठेकेदार द्वारा कहा गया वाक्य उसकी सफलता का माध्यम बन गया.  जब हेमंत अपनी मां की मजदूरी के पैसे मांगने ठेकेदार ने कहा था कि नहीं दूंगा पैसे 'तू कहीं का कलेक्टर है क्या?' बस यहीं से हेमंत ने ठान लिया कि वह कलेक्टर बनने के लिए जी तोड़ मेहनत करेगा. जबकि उस समय उसे सिविल सर्विस का कुछ भी नहीं पता था. उस वक्त उसे लगा था कि ठेकेदार बस के कंडेक्टर की बात कर रहा है. 

14 घंटे करते थे पढ़ाई, पहले प्रयास में पाई सफलता
हेमंत ने बताया वह सिविस सेवा के बारे में ज्यादा पता करने के लिए दिल्ली पहुंचा. जहां उसकी मुलाकात पटेल नगर की लाइब्रेरी में प्रतियोगी दिव्यांशी लेहरी से हुई. वह भी सिविल सेवा की तैयारी कर रही थी. लेहरी ने  उसे यूट्यूब पर Rau's IAS Study Circle के अंतर्गत डेली न्यूज सिम्पलीफाइड (DNS) कक्षाओं से परिचित कराया. जिसके बाद हेमंत ने क्लास ज्वाइन की. हेमंत 14-14 घंटे पढ़ाई करता था. साथ ही टाइम मिलने पर यूट्यूब का भी सहारा लेता था.  हेमंत ने पूरी तरह से यारी रिस्तेदारी से कट गया था. हर हाल में उसे पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्लियर करना था. हेमंत ने बताया यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास करने पीछे उसकी मां है. क्योंकि कठिन समय में मां ने ही उसे  पूरा सपोर्ट किया.

HIGHLIGHTS

  • हेमंत ने इस वर्ष की सिविल सेवा में 884वीं रैंक की हांसिल
  • राजस्थान के  छोटे से गाँव बीरन के रहने वाले हैं हेमंत
  • पिता करते हैं गांव में ही पुरोहित का काम

Source : News Nation Bureau

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