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बेटा IB और सेना में है, लेकिन पिता आज भी चलाते हैं पंचर की दुकान, पढें संघर्ष भरी कहानी

Success Story: मिट्टू राय साइकिल का पंक्चर सुधारने का काम करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को देश की सबसे बेस्ट सरकारी नौकरियां तक पहुंचाया है, उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी है. इनकी कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है.

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Priya Gupta
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IAS Success Story

Success Story ( Photo Credit : Social Media)

Success Story: दुनिया में बहुत कम लोग हैं जो किस्मत से ज्यादा कर्म पर भरोसा होता है. क्योंकि कुछ लोगों का मानना होता है कि किस्मत भी उनका ही साथ देती है जो लगातार अपने मेहनत पर कर्म पर भरोसा रखते हैं. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं बिहार के सारण जिले के अजमेरगंज गांव में रहने वाले मिट्टू राय. मिट्टू राय साइकिल का पंक्चर सुधारने का काम करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को देश की सबसे बेस्ट सरकारी नौकरियां तक पहुंचाया है, उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी है. इनकी कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है. 

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मिट्ठू राय के जीवन में एक समय ऐसा था जब उनके पास रहने के लिए घर नहीं था. बरसात में टपकते छप्पर के नीचे, एक ही कमरे में गाय-भैंस के साथ रहना पड़ता था. खाने के लिए भी मुश्किलें होती थीं. ऐसे कठिन समय में भी मिट्ठू राय ने हार नहीं मानी. उन्होंने दिन-रात मेहनत की और पाई-पाई जोड़कर अपने बच्चों को पढ़ाया-लिखाया।

बच्चों की कामयाबी

मिट्ठू राय की मेहनत और सकारात्मक सोच का नतीजा यह है कि उनके दो बेटे आज देश की प्रतिष्ठित सरकारी नौकरियों में हैं. उनका एक बेटा विक्रम प्रसाद यादव इंटेलिजेंस ब्यूरो में कार्यरत है, जबकि दूसरा बेटा विकास प्रसाद यादव पहले बिहार पुलिस में था और अब सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है. तीसरा बेटा दिल्ली में रहकर पढ़ाई कर रहा है, जिसे मिट्ठू राय एक योग्य अफसर बनाना चाहते हैं.

साइकिल का पंक्चर सुधारने का काम

74 साल की उम्र में भी मिट्ठू राय अपने पेशे को नहीं भूले हैं. वह आज भी रोज दुकान पर जाते हैं और साइकिल का पंक्चर ठीक करते हैं. उनके पास अब एक अच्छा घर है, लेकिन उन्होंने अपने पुराने दिनों को कभी नहीं भुलाया. उनकी यह प्रतिबद्धता और मेहनत उनकी सफलता का राज है.

गांव के लोगों का समर्थन

मिट्ठू राय के संघर्ष के दिनों में गांव के कुछ लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की और मारपीट भी की. हालांकि, मिट्ठू राय ने हार नहीं मानी और अपने बच्चों को उनके लक्ष्य तक पहुंचाने में सफल रहे. यह उनकी दृढ़ता और मेहनत का ही परिणाम है कि आज उनके बेटे उच्च पदों पर आसीन हैं.

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Source : News Nation Bureau

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