प्राइवेट स्कूल ध्यान दें, NCERT किताबों से ही पढ़ाएं, वरना मान्यता होगी रद्द, CBSE के सख्त आदेश

CBSE ने प्राइवेट स्कूलों के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि पहली से 8वीं कक्षा तक के छात्रों को NCERT की किताबें ही पढ़ाने होगी.

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Priya Gupta
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CBSE Order for School

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NCERT: सीबीएसई ने सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि पहली से 8वीं कक्षा तक के छात्रों को NCERT की किताबें ही पढ़ाने होगी. यह आदेश देशभर के सभी सीबीएसई से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर लागू होगा. यदि कोई स्कूल इस निर्देश का पालन नहीं करता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है.सीबीएसई ने इस आदेश को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें ही इस्तेमाल करनी होंगी.

डिजिटल कंटेंट का भी है ऑप्शन

बोर्ड द्वारा रेंडमली जांच की जाएगी, और अगर कोई स्कूल एनसीईआरटी की किताबों के बजाय अन्य प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें चलाते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.अगर किसी स्कूल में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, तो ऐसे में स्कूल डिजिटल कंटेंट से पढ़ाई करवा सकते हैं. सीबीएसई ने राष्ट्रीय सिलेबस रूपरेखा (NCF-SE) के तहत सभी विषयों का डिजिटल कंटेंट तैयार किया है. यह डिजिटल कंटेंट सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है, जिसे स्कूल आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं और छात्रों को पढ़ा सकते हैं.

NCERT Notice 

नौवीं से 12वीं तक भी डिजिटल पढ़ाई

न सिर्फ कक्षा 1 से 8 तक, बल्कि नौवीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए भी सीबीएसई ने डिजिटल कंटेंट तैयार किया है. जिन विषयों की किताबें उपलब्ध नहीं हैं, उन विषयों का डिजिटल कंटेंट सीबीएसई वेबसाइट पर डाल दिया गया है. इससे छात्रों को पढ़ाई में किसी भी तरह की समस्या नहीं आएगी और वे घर बैठे भी अपनी पढ़ाई को जारी रख सकते हैं.

क्यों लिया गया यह फैसला?

सीबीएसई ने ये फैसला इसलिए लिया है कि क्योंकि प्राइवेट स्कूल एनसीईआरटी की किताबों के बदले प्राइवेट पबलिशर की महंगी किताबें छात्रों से खरीदवाते हैं. इससे न सिर्फ छात्रों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है. एनसीईआरटी की किताबें गुणवत्ता और राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता बनाए रखने के लिए जानी जाती हैं. इसीलिए, CBSE ने यह सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है कि सभी छात्रों को समान और गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले.

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