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NCERT सिलेबस में बड़े बदलाव, जोड़ा गया 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' कविता और 'वीर अब्दुल हमीद' का चेप्टर

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 के तहत NCERT ने छठी कक्षा की किताबों में कुछ बदलाव किए हैं.

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Priya Gupta
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NCERT: नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 के तहत NCERT ने छठी कक्षा की किताबों में कुछ बदलाव किए हैं. इस साल से छात्रों के सिलेबस में 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' शीर्षक वाली एक कविता और 'वीर अब्दुल हमीद' शीर्षक वाला एक चेप्टर जोड़ा गया है. यह पहल रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा मिलकर शुरू की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्कूली बच्चों में देशभक्ति, कर्तव्य के प्रति समर्पण, साहस, और बलिदान जैसे मूल्यों का विकास करना है. 

'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' कविता देश के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करती है. वहीं, 'वीर अब्दुल हमीद' चेप्टर में भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार (सीक्यूएमएच) अब्दुल हमीद को सम्मानित किया गया है. उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया, जो भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. 

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का महत्व

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को दिल्ली के इंडिया गेट के पास प्रतिष्ठित सेंट्रल विस्टा 'सी' हेक्सागन में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया. इसका उद्देश्य सभी नागरिकों में नैतिक मूल्यों, बलिदान, और राष्ट्रीय भावना को जागरूक करना है. इसके माध्यम से उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देने की कोशिश की गई है, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी. रक्षा मंत्रालय ने सिलेबस में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और उससे संबंधित सामग्री को शामिल करने के लिए NCERT के साथ सहयोग किया है. यह कदम युवाओं में देश प्रेम की भावना को और मजबूत करेगा.

सामाजिक विज्ञान में नए बदलाव

इसके अलावा, एनसीईआरटी की छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब में भी कुछ बदलाव किए गए हैं. अब हडप्पा सभ्यता को 'सिंधु-सरस्वती' और 'इंडस-सरस्वती' सभ्यता के रूप में जाना जाएगा. इस बदलाव में 'सरस्वती' नदी का कई स्थानों पर उल्लेख किया गया है, जिसमें हडप्पा सभ्यता के पतन के कारणों में इसके सूखने का भी जिक्र है. 

किताब में यह भी बताया गया है कि भारत की अपनी एक 'प्रधान मध्याह्न रेखा' थी, जिसे 'उज्जयिनी मध्याह्न रेखा' कहा जाता था. यह बदलाव न केवल छात्रों को हमारे ऐतिहासिक धरोहर से जोड़ता है, बल्कि उन्हें हमारे संस्कृति और सभ्यता के बारे में गहरी जानकारी देता है.

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