Ravan Ki Vidya: हर साल नवरात्रि को बहुत ही धुम-धाम से मनाया जाता है. इसके 10वें दिन दशहरा आता है, इस दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है. इस दिन को मनाने का संदेश ये है कि बुराई पर अच्छाई की जीत, अधर्म पर धर्म की जीत. रावण को बहुत ही ज्ञानी कहा जाता है. लेकिन उसकी एक गलती ने उसके पूरे साम्राज्य को खत्म कर दिया. रावण को ज्ञानी क्यों कहा जाता है आखिर कितना ज्ञान था रावण के पास. संगीत से लेकर वेद सहित कई ग्रंथों को कंठस्थ्य करने वाला रावण के बारे में जानेंगे.
इन पुस्कतों की रचना की थी
आज हम जानेंगे रावण के ज्ञान के बारे में. रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ बहु-विद्याओं का जानकार था. उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था.रावण बहुत बड़ा शिवभक्त था. शु्द्ध संगीत का भी उसके पास ज्ञान था.उसने ही शिव की स्तुति में तांडव स्तोत्र लिखा था. रावण ने ही अंक प्रकाश, इंद्रजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, नाड़ी परीक्षा आदि पुस्तकों की रचना की थी.
इन ग्रंथों का ज्ञाता था
अरुण संहिता : संस्कृत के इस मूल ग्रंथ को अकसर ‘लाल-किताब’ के नाम से जाना जाता है. रावण अपने युग का प्रकांड पंडित ही नहीं, वैज्ञानिक भी था. आयुर्वेद, तंत्र और ज्योतिष के क्षेत्र में उसका योगदान महत्वपूर्ण है। इंद्रजाल जैसी अथर्ववेदमूलक विद्या का रावण ने ही अनुसंधान किया. चिकित्सा और तंत्र के क्षेत्र में रावण के ये ग्रंथ चर्चित हैं. 1. दस शतकात्मक अर्कप्रकाश, 2. दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र, 3. कुमारतंत्र और 4. नाड़ी परीक्षा. चारों वेदों का ज्ञान उसे पहले से ही था.
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