जेईई मेंस और जेईई एडवांस में इस साल दिल्ली सरकारी स्कूलों के छात्रों का दबदबा रहा. दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति के चलते सरकारी स्कूलों के 824 छात्रों ने परीक्षा उत्तीर्ण की है. पिछले तीन साल में ये आंकड़ा 443 से 720 पहुंच गया है. पिछले साल की तुलना में जेईई मेंस और जेईई एडवांस में सफल होने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या दोगुनी हो गई है. अगर साल 2020 के आंकड़ों पर नजर डालें तो उस साल दिल्ली के 53 छात्रों ने सफलता हासिल की थी, जबकि इस साल यह संख्या 720 पहुंच गई.
जानें जेईई में सफल हुए दिल्ली के दो छात्रों की क्या थी स्थिति?
छात्र गौरव कुमार
दिल्ली के डॉ. अंबेडकर नगर के सेक्टर 5 में स्थित सर्वोदय स्कूल में पढ़ने वाले गौरव कुमार ने जेईई एडवांस की परीक्षा में 51वां स्थान प्राप्त किया है. अब वह आईआईटी बॉम्बे जाने की तैयारी कर रहा है. पहले उसने सोचा था कि वह पढ़ाई के बाद अपना स्टार्टअप शुरू करेगा. होनहार छात्र गौरव ने बताया कि उसने 10वीं तक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई की थी और उनके पिता दिल्ली सरकार के स्कूल में शिक्षक हैं.
परिजनों ने बताया कि जब पिता ने गौरव से कहा कि अब उसे 11वीं और 12वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल में करनी होगी तो उसने मन में बहुत झिझक थी. इसलिए पहले वे अपने पिता प्रकाश के साथ स्कूल गए और वहां के शिक्षकों से मुलाकात की. उसने स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर देखकर सरकारी स्कूल में प्रवेश लिया. दिल्ली के सरकारी स्कूल में कोर्स की किताबों के साथ-साथ अब स्कूल की लाइब्रेरी भी इतनी बेहतर हो गई है कि जेईई की तैयारी के लिए भी महंगी-महंगी किताबें आसानी से मिल जाती हैं.
गौरव स्कूल ने फैकल्टी और लैब्स के सुधरे स्तर को भी अपनी कामयाबी का श्रेय दिया है. गौरव के पिता और उसी स्कूल में फिजिक्स पढ़ाने वाले शिक्षक विनोद बिहारी बताते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर का बच्चों की पढ़ाई पर बहुत असर पड़ता है और वह रिजल्ट के रूप में भी नजर आ रहा है. यही वजह है कि उन्होंने अपने बच्चे को बेहतरीन शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में पढ़ाना ही बेहतर समझा.
छात्र ऋषभ झा
ऐसे ही पिता-पुत्र ऋषभ झा और उनके पिता देवेंद्र झा की जोड़ी है. दिल्ली के सरकारी स्कूल में दोनों एक छात्र के तौर पर तो दूसरे शिक्षक के तौर पर. गौरव की तरह ही दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले ऋषभ झा ने जेईई एडवांस में सफलता हासिल की है. ऋषभ ने भी 10वीं क्लास तक की पढ़ाई पब्लिक स्कूल में की थी. दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूल में उनके पिता शिक्षक थे, इसलिए उन्होंने अपने बेटे ऋषभ का एडमिशन अपने ही स्कूल में करा दिया.
ऋषभ कहते हैं कि स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी ने उनकी इतनी मदद की थी कि उन्होंने प्रतिदिन 6-6 घंटे की पढ़ाई में ही जेईई एडवांस जैसी परीक्षा भी पास कर ली. ऋषभ के पिता और शिक्षक देवेंद्र झा बताते हैं कि कैसे उन्होंने स्कूल के बदलते हुए स्थिति को देखा है. शिक्षा के प्रति बदली सोच की वजह से बच्चों आज जेईई और नीट तक के एग्जाम पास कर ले रहे हैं.
Source : News Nation Bureau