केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि गुजरात, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति रखने वाला एकमात्र राज्य था, के अलावा अब पूर्वोत्तर के राज्यों सहित 11 और राज्य अपनी-अपनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीतियां तैयार करने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग क्षमताएं हैं, लेकिन वे सभी अनुसंधान एवं विकास, नवाचार और एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र जैसे क्षेत्रों में केंद्र के साथ संयुक्त रूप से काम करने के लिए बोर्ड पर हैं. पिछले चार महीनों के विचार-मंथन सत्रों के बाद, सिक्किम, मणिपुर और अरुणाचल सहित 11 और राज्य शामिल हैं. प्रदेश अपनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति तैयार कर रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कहा गया है, जहां तकनीकी हस्तक्षेप आम आदमी के जीवन को आसान बनाने के लिए विविध समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, जम्मू और कश्मीर की केंद्र शासित प्रदेश सरकार को नवीनतम बर्फ समाशोधन तकनीक के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी, जबकि पुडुचेरी और तमिलनाडु को समुद्र-समुद्र तट की बहाली और नवीनीकरण में सहायता की जा रही है. सिंह यहां पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मुख्यालय पृथ्वी भवन में सभी विज्ञान मंत्रालयों और विज्ञान विभागों की एक उच्चस्तरीय संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे.
HIGHLIGHTS
- गुजरात का पहले था इस क्षेत्र में दबदबा
- अब पूर्वोत्तर के राज्य भी हुए शामिल