ऑल इंडिया कॉउन्सिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने देश के 800 इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने का फैसला किया है। देश भर के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में 27 लाख से अधिक सीटें खाली रह जाती हैं।
एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल दत्तात्रेय सहस्रबुद्ध ने कहा कि उन्होंने उन टेक्निकल कॉलेजों को बंद करने का फैसला किया है, जिनमे पिछले पांच सालों में 30 प्रतिशत से भी कम एडमिशंस हुए है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बेहद जरुरी है क्योंकि इससे कॉलेजों की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने आगे कहा, 'इन कॉलेजो के छात्रों को पर्याप्त क्षमता वाले कॉलेजों में ट्रांसफर किया जा सकता है। हमने यह निर्णय विभिन्न राज्यों के कॉलेजों के आंकड़ों को देखने और विचार विमर्श करने के बाद लिया है।'
सहस्रबुद्ध ने आगे कहा, 'हमने पांच साल में हुए एडमिशन के आंकड़ों की जांच की, और उन कॉलेजों की सूची बनाई है, जिन्हें बंद करने की जरुरत है।'
अनिल दत्तात्रेय सहस्रबुद्धे शुक्रवार को बेंगलुरु में 'ग्रीन हैंड' मूर्तिकला का उद्घाटन करने के लिए, न्यू होरिजन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मार्थाहल्ली में उपस्थित थे।
देश में 10,361 इंजिनियरिंग कॉलेज हैं, जो एआईसीटीई से अप्रूव्ड हैं। इनमें कुल 3,701,366 सीटें हैं। इस निर्णय के पीछे का कारण यह है कि हजारों इंजीनियरिंग सीटें हर साल खाली रह जाती है।
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साल 2017-18 , में 27 लाख के करीब सीटें खाली रह गयी थी, अकेले कर्नाटक में 29, 000 से अधिक इंजीनियरिंग सीटें खाली रह गयी थी।
इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की संख्या और उनके रोजगार को लेकर चुनौतियां से निपटने के लिए एआईसीटीई शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण भी शुरू करेगा।
सहस्रबुद्धे ने कहा, 'अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर एमटेक या पीएचडी धारक हैं। भविष्य के इंजीनियरों को पढ़ाने के लिए प्रोफेसरों को छह महीने के अनिवार्य प्रशिक्षण से गुजरना होगा ताकि बेहतर शिक्षा दे सकें।'
एआईसीटीई चाहता है कि उसके छात्र इंडस्ट्री के लिए पूरी तरह तैयार हो सके। इसलिए इस साल से, दूसरे और तीसरे साल के छात्रों को इंटर्नशिप अनिवार्य रूप से करना होगा ताकि वे कैंपस प्लेसमेंट में अच्छा परफॉर्म कर सके।
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Source : News Nation Bureau