देश की नामी भारतीय प्रबंधन संस्थान यानी आईआईएम अब से अपने छात्रों को डिप्लोमा के जगह डिग्री दे सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भारतीय आईआईएम बिल 2017 को मंजूरी दे दी गई है। जिसके तहत आईआईएम अब परास्नातक डिप्लोमा और प्रबंधन में फेलो प्रोग्राम्स के बजाए डिग्री और पीएचडी की उपाधि प्रदान करेंगे।
इस विधेयक में प्रस्ताव था कि संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड से संचालित होगा, जहां संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक बोर्ड द्वारा चुने जाएंगे। बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती छात्रों की ज्यादा भागीदारी होगी। इसके साथ महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'आईआईएम विधेयक का मुख्य उद्देश्य आईआईएम संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता देना, प्रभावी प्रशासन, वरिष्ठ छात्रों की अधिक से अधिक प्रतिभागिता है।'
बिल में इस बात का भी उल्लेख है कि संस्थानों के प्रदर्शन की एजेंसियों से समय समय पर समीक्षा कराई जाएगी और इसके नजीते सार्वजनिक किए जाएगें। संस्थानों की सालाना रिपोर्ट संसद में पेश की जाएगी और ये कैग के ऑडिट के दायरे में आएंगे। इस बिल को मंजूरी देने के साथ ही आगामी बजट सत्र में इसे संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया है।
जावड़ेकर ने कहा, 'देश के सभी आईआईएम को पूर्ण स्वायत्तता देना ऐतिहासिक है और अब वे डिग्रियां प्रदान करेंगे। हमारा उत्कृष्टता और गुणवत्ता पर विश्वास है। यह मोदी सरकार की उच्च शिक्षा को लेकर दूरदृष्टि को दर्शाता है।'
गौरतलब है कि देश में आईआईएम को ऑटोनमी देने की मांग काफी दिन से उठ रही थी जिसे देखते हुए सरकार ने नया बिल लाकर इन संस्थानों को मजबूत बनाने का फैसला किया।
IANS इनपुट के साथ
HIGHLIGHTS
- आईआईएम को मिली पूर्ण स्वायत्तता, डिप्लोमा की जगह देगा डिग्री
- समय समय पर समीक्षा कराई जाएगी, सार्वजनिक करने होंगे नतीजे
- इस बिल से संस्थानों को मिलेगी मजबूती, जावडेकर ने फैसले को बताया ऐतिहासिक