Advertisment

NEET के नए नियम से लाखों छात्र पड़ सकते हैं खतरे में, प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र

सीबीएसई द्वारा देशभर के चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली 'नीट' परीक्षा के एक नियम ने लाखों छात्रों को खतरे में डाल दिया है। साथ ही उनका भविष्य भी अधड़ में पड़ गया है।

author-image
saketanand gyan
एडिट
New Update
NEET के नए नियम से लाखों छात्र पड़ सकते हैं खतरे में, प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र

NEET के नए नियम से लाखों छात्र पड़ सकते हैं खतरे में

Advertisment

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा देशभर के चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली 'नीट' परीक्षा के एक नियम ने लाखों छात्रों को खतरे में डाल दिया है। साथ ही उनका भविष्य भी अधड़ में पड़ गया है।

इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री सहित अन्य को पत्र भी लिखा गया है। नीट के नियम 7 और 8 ने छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।

नियम के मुताबिक, सभी अभ्यर्थियों के लिए 12वीं में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी को मिलाकर दो वर्ष का नियमित एवं निरंतर अध्ययन किया होना चाहिए। दो से ज्यादा वर्षो में यह परीक्षा पास करने वालों को प्रवेश परीक्षा के लिए अयोग्य करार दिया गया है।

आगे कहा गया है कि ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने 12वीं की परीक्षा मुक्त विद्यालय या प्राइवेट अभ्यर्थी के तौर पर उत्तीर्ण की है, वह राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा के लिए पात्र नहीं होंगे।

इसके अलावा 12वीं के स्तर पर जीव विज्ञान व जैव प्रौद्योगिकी के अतिरिक्त विषय के रूप में किए गए अध्ययन की भी अनुमति नहीं होगी।

सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने नए नियमों पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि वर्ष 2017 की नीट परीक्षा तक ऐसा कोई नियम नहीं था, लेकिन अब अचानक नीट परीक्षा के ठीक कुछ समय पहले ही इस नियम को लागू कर दिए जाने से कई अभ्यार्थियों का भविष्य संकट में पड़ गया है।

और पढ़ें: NEET 2018 परीक्षा में उम्र को लेकर दाखिल की गई याचिका को SC ने किया ख़ारिज

पहले किसी कारण से जिन छात्रों ने कक्षा 11वीं एवं 12वीं की परीक्षा दो वर्ष से ज्यादा समय में पूरी की हैं या 12वीं एनआईओएस से पास की है, उनके लिए यह नियम मुसीबत बन गया है।

उन्होंने आगे कहा है कि विशेषकर शिक्षा क्षेत्र में ऐसा कोई भी नियम पूर्वगामी तिथि से लागू करना प्राकृतिक न्याय के मान्य सिद्धांतों के खिलाफ है।

गौड़ ने प्रधानमंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, भारतीय चिकित्सा परिषद को पत्र लिखकर कहा है कि यह नियम ऐसे लाखों अभ्यर्थियों एवं उनके माता-पिता के लिए किसी बड़े आघात से कम नहीं है जो कर्ज लेकर, खेत-खलिहान बेचकर कोटा, इंदौर, दिल्ली, पटना जैसे शहरों में रहकर साल-साल भर से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। यह नियम उन्हें परीक्षा से वंचित कर देगा।

और पढ़ें: SSC चेयरमैन का बड़ा आरोप, 'छात्रों के आंदोलन के पीछे कोचिंग संस्थानों की फंडिंग, CBI जांच के लिए तैयार'

Source : IANS

NEET CBSE National Eligibility Cum Entrance Test cbse neet neet rules medical exams neet criteria
Advertisment
Advertisment