युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की खबर आने के बाद विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों का मामला इन दिनों सुर्खियों में है. यूक्रेन में फंसे छात्रों की खबर को देखने के बाद ऐसा लगता है कि भारतीय मेडिकल की पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा यूक्रेन ही जाते हैं. लेकिन, यह सच्चाई नहीं है. सच्चाई इससे बिल्कुल ही अलग है. दरअसल, मेडिकल की पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा भारतीय छात्र चीन जाते हैं.
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड यानी National Board of Examination (NBE) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक Foreign Medical Graduate Examination (FMGE) के तहत कुल 35774 छात्रों ने परीक्षा दी थी. परीक्षा देने वाले छात्रों में सबसे ज्यादा 12380 छात्र चीन से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे थे. इसी तरह 2019 में 28,597 बच्चों ने FMGE की परीक्षा में शामिल हुए थे. इनमें से सबसे ज्यादा 10,620 बच्चे चीन से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे थे, जो कुल संख्या का तकरीबन एक तिहाई बनता है.
कौन से देश गए, कितने छात्र
वर्ष 2019 में कुल 28,597 छात्रों ने विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटकर Foreign Medical Graduate Examination दिया. इनमें से सबसे ज्यादा 10620 छात्र चीन से पढ़कर लौटे थे. इसके बाद दूसरे नंबर पर नंबर आता है रूस का. रूस से 2019 में कुल 4313 छात्र ने पढ़ाई पूरी करने के बाद FMGE परीक्षा में शामिल हुए थे. वहीं, यूक्रेन की बात करें तो सबसे कम 4258 छात्र 2019 में यूक्रेन से पढ़ाई पूरी करने के बाद FMGE में शामिल हुए. वहीं, 2020 में विदशों से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुल 35774 छात्रों ने एफएमजीई (FMEG) की परीक्षा में शामिल हुए. इस वर्ष भी सबसे ज्यादा 12380 छात्र चीन मेडिकल की पढ़ाई कर वापस लौटे थे. इस वर्ष भी इसके बाद रूस का नम्बर रहा . रूस से कुल 3823 छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर लौटे थे. वहीं, युक्रेन से पढ़कर लौटे मात्र 3106 छात्र ही वर्ष 2020 में एफएमजीई (FMEG) की परीक्षा में शामिल हुए.
बहुत की कम छात्र पास कर पाते हैं FMGE परीक्षा
विदेश से MBBS की पढ़ाई कर औसतन हर वर्ष 30-35 हजार छात्र-छात्राएं FMGE परीक्षा में शामिल होते हैं. हालांकि, इन छात्रों की सफलता का प्रतिशत बहुत ही कम है.
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक 35774 बच्चों ने एफएमजीई की परीक्षा दी थी. इनमें से मात्र 5897 यानी 16 प्रतिशत छात्र ही इस परीक्षा में सफल हो पाए. इसी प्रकार वर्ष 2019 में 28597 छात्र-छात्राएं परीक्षा में बैठे थे, जिनमें से मात्र 7375 छात्र ही परीक्षा पास कर पाए. यानी सफलता का प्रतिशत मात्र 25.79 फीसदी था.
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क्या है FMGE
दरअसल, भारत सरकार के नियम के अनुसार विदेशों से मेडिकल की पढ़ाई कर आने वाले उन्हीं छात्र-छात्राओं का मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) रजिस्ट्रेशन करता है, जो FMGE परीक्षा पास कर लेते हैं. FMGE परीक्षा पास नहीं करने वाले छात्रों को देश में मेडिकल प्रैक्टिस या आगे की पढ़ाई करने का मौका नहीं दिया जाता है, जो छात्र FMGE परीक्षा पास कर लेते हैं, उन्हें ही भारतीय कानून के मुताबिक डॉक्टर माना जाता है. गौरतलब है कि FMGE का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की ओर से एक साल में दो बार आयोजित की जाती है. यह परीक्षा जून और दिसंबर महीने में आयोजित की जाती है. परीक्षा में सफल होने के लिए छात्रों के लिए कम से कम 50 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी है. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाईटेड किंगडम और अमेरिका से पढ़ने वाले छात्रों को FMGE परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं है.
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इसलिए विदेश पढ़ाई करने जाते हैं भारतीय छात्र
दरअसल, भारत में मेडिकल की सीटों की संख्या बहुत ही कम है. लिहाजा, दाखिले के लिए छात्रों को नीट परीक्षा (NEET Exam) देनी होती है. यह परीक्षा काफी कठिन मानी जाती है. इसमें अच्छे अंक से पास कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती है. ऐसे में ये छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश चले जाते हैं. चूंकि अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, कनाडा और आस्ट्रेलिया में मेडिकल की पढ़ाई का स्तर ऊंचा होने के साथ ही काफी महंगा भी है, लिहाजा भारतीय छात्र चीन, रूस और यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं.
HIGHLIGHTS
- विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वालों का देनी पड़ती है FMGE परीक्षा
- बिना FMGE के मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में नहीं होता है रजिस्ट्रेशन
- वतन लौटे 80 प्रतिशत छात्र-छात्राएं पास नहीं कर पाते हैं FMGE परीक्षा