बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC-यूजीसी) को उस जनहित याचिका में पक्षकार बनाया जाए जिसमें अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का आयोजन कराए बगैर डिग्री जारी करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन को देखते हुए सरकार ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं और पहले के सेमेस्टर में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर डिग्री जारी करने का निर्णय लिया था. सेवानिवृत्त शिक्षक और पुणे से विश्वविद्यालय सीनेट के पूर्व सदस्य धनंजय कुलकर्णी ने निर्णय के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है.
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कुलकर्णी ने जनहित याचिका में सरकार के 19 जून 2020 के प्रस्ताव को चुनौती दी है. महाराष्ट्र सरकारी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2016 के मुताबिक परीक्षा के बारे में निर्णय करने का अधिकार कुलपति के पास है न कि राज्य सरकार के पास. जनहित याचिका में कहा गया है कि 27 अप्रैल को यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर परीक्षाएं आयोजित कराने का निर्देश दिया था लेकिन एक छात्र संगठन द्वारा राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री को पत्र लिखने के बाद महाराष्ट्र में परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं और बाद में उन्हें रद्द कर दिया गया.
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संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति ए. ए. सैयद और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि यूजीसी को प्रतिवादी बनाया जाना चाहिए और मामले की सुनवाई 17 जुलाई के लिए स्थगित कर दी. भाषा नीरज नीरज प्रशांत प्रशांत
Source : Bhasha