दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बुधवार को दलित लेखक कांचा इलैया की तीन किताबें पाठ्यक्रम से हटाने के सुझाव दिये हैं. डीयू की प्रशासनिक कमेटी ने सुझाव देते हुए कहा कि राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से कांचा इलैया की तीन किताबें उनके आपतिजनक कंटेट की वजह से हटाई जानी चाहिए. साथ ही कमेटी ने यह सुझाव दिया कि पाठ्यक्रम से दलित शब्द की जगह अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल किया जाए.
मीटिंग में यूनिवर्सिटी के मास्टर के 9 पाठ्यक्रम पर विचार कर सुझाव दिये गये हैं. प्रशासनिक मीटिंग में कमेटी द्वारा दिये गये सुझावों के बारे में हंसराज सुमन ने मीडिया को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि डीयू के राजनीतिक विज्ञान पाठ्यक्रम से कांचा इलैया की किताबें अपने आपतिजनक कंटेंट के कारण हटाई जाएं.
कमेटी ने 'Why I am not a Hindu' और 'Post-Hindu India' किताबों को हटाने के सुझाव दिये गये हैं. सुमन यूनिवर्सिटी में कमेटी ऑन एकेडेमिक मेटर और स्टैडिंग कमेटी के सदस्य है. उन्होंने बताया कि, 'पाठ्यक्रम से Dalit Bahujan Political Thought किताब को भी हटाने के सुझाव दिये गये हैं क्योंकि इसमें दलित शब्द का इस्तेमाल किया गया है.'
उन्होंने कहा कि, 'सरकार की तरफ से भी सुझाव दिये गये हैं कि दलित शब्द की जगह अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल किया जाए. कमेटी ने इस सुझाव को अनुसार यह फैसला लिया है कि यूनिवर्सिटी में दलित शब्द के स्थान पर अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल किया जाए.' साथ ही जहां-जहां दलित शब्द का प्रयोग किया गया है उसके स्थान पर अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए. प्रो सुमन ने बताया कि कमेटी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
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वहीं एमएस स्तर के अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान सोशियोलॉजी, मॉडर्न इंडियन लैंग्वेज एंट लिट्रेरी स्टडीज, लाइब्रेरी एंड इंर्फोमेशन साइंस, बुद्धिस्ट स्टडीज, इतिहास, एलएलबी, एलएलएम विषयों के पाठ्यक्रम पर भी चर्चा की गई. अंग्रेजी विभाग के नवीनतम पाठ्यक्रम विकलांगता अध्ययन एवं इसका साहित्यिक निरूपण पर प्रो सुमन ने सुझाव दिया कि इसमें लूई ब्रेल और हेलेन केलर जैसे विकलांगता के आधार स्तंभों के विचारों को भी शामिल किया जाना चाहिए.
इसके साथ ही स्टैडिंग कमेटी ने बीआर अम्बेडर के राइंटिंग्स को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सुझाव दिये हैं. प्रोफेसर सुमन ने बताया कि इन सभी सुझावों को अभी यूनिवर्सिटी एकेडमिक काउंसिल के पास भेजा गया है.
वहीं कांचा इलैया ने यूनिवर्सिटी के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि, 'दक्षिण पंथी यह चाहते ही नहीं की यूनिवर्सिटी में सभी मतों का एक स्वस्थ वाद विवाद हो.'
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उन्होंने आगे कहा कि, 'मेरी किताबें 'Why I am not a Hindu', 'God as Political Philosopher: Buddha's Challenge to Brahminism' और 'Post-Hindu India' काफी सालों से यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जा रही हैं. ये किताबें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी जैसी विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ भारत की अन्य यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई जा रही हैं. यह डीयू में न केवल रेफरेंस बुक के तौर पर इस्तेमाल होती हैं बल्कि यह कोर्स में भी शामिल हैं.'
Source : News Nation Bureau