महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus) का असर अब बोर्ड समेत कई परीक्षाों पर पड़ रहा है. अब विश्विद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने परीक्षाओं का फैसला विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया है. अब विश्वविद्यालय स्थानीय स्थिति के आधार पर परीक्षा (Exams) कराने या न कराने का फैसला ले सकेंगे. हालांकि इस समय कोरोना की स्थिति को देखते हुए अधिकतर विश्वविद्यालयों (Universitiesने अंतिम वर्ष के छात्रों को छोड़कर बाकी सभी छात्रों को बिना परीक्षा के ही अगली कक्षाओं (Classes) में प्रमोट करने का फैसला लिया है. कई जगह इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.
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विश्वविद्यालयों के पास हैं ये अधिकार
यूजीसी के सचिव डॉक्टर रजनीश जैन का कहना है कि विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थान होते हैं. उन्हें परीक्षाओं ओर शैक्षणिक सत्र आदि को लेकर अपने स्तर पर कोई भी फैसला लेने का पूरा अधिकार है. देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना की स्थिति भिन्न है. यही कारण है कि कोई स्टैंडर्ड गाइडलाइन्स परीक्षाओं को लेकर अब तक नहीं बन सकी है.
यूजीसी का कहना है कि कोरोना संक्रमण का प्रभाव देश के अलग-अलग हिस्सों में कम और ज्यादा है. ऐसे में परीक्षाओं को लेकर इस बार कोई स्टैंडर्ड गाइडलाइन अभी नहीं बनाई गई है. इस बीच, विश्वविद्यालयों ने स्नातक के पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को आंतरिक आकलन या फिर पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर अंक प्रदान करके प्रमोट करने की तैयारी शुरू कर दी है. साथ ही अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई-अगस्त में कराने की योजना पर भी काम किया जा रहा है. हालांकि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला जून के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद लिया जाएगा.