नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कड़ी में मोदी सरकार (Modi Government) का यह शैक्षणिक जगत खासकर उच्च शिक्षा के लिहाज से एक औऱ बड़ा बदलाव लाने वाला फैसला होगा. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTI) ने नए शैक्षणिक सत्र से हिंदी समेत आठ भारतीय भाषाओं (Languages) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की मंजूरी दे दी है. यही नहीं आने वाले समय में क्षेत्रीय भाषाओं की संख्या बढ़ाकर 11 कर दी जाएगी. इसके तहत इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम को भी इन सभी भाषाओं में तैयार करने का काम शुरू हो चुका है. इसके लिए सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है, जो 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर सकता है.
इन भाषाओं में होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई
फिलहाल हिंदी के अलावा मराठी, बंगाली, तेलुगु, तमिल, गुजराती, कन्नड़ और मलयालम भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की अनुमति दी गई है. गौरतलब है कि यह पहल भारत में अब की जा रही है, लेकिन दुनिया के कई देशों में ये पहले से मौजूद है. जापान, रूस, चीन, जर्मनी समेत कई देश ऐसे हैं जहां पर किसी भी कोर्स को करने के लिए पहले वहां की भाषा सीखना जरूरी होती है. इन देशों में इनकी ही भाषा में पढ़ाई की जाती है. हालांकि अंतर यह है कि इन देशों में एक ही भाषा बोली जाती हैं, वहीं भारत में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं.
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आगे 11 क्षेत्रीय भाषाओं में हो सकेगी पढ़ाई
एआइसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने माना है कि वर्तमान में लिया गया फैसला नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने की एक पहल के तौर पर है. हालांकि अभी ये फैसला आठ भाषाओं के लिए किया गया है, लेकिन भविष्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई 11 भाषाओं में कराई जाएगी. उनके मुताबिक अब तक 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों ने हिंदी समेत पांच भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की इजाजत मांगी है. इसके साथ ही इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम को भी इन सभी भाषाओं में तैयार करने का काम शुरू हो चुका है. सबसे पहले प्रथम वर्ष का कोर्स तैयार किया जा रहा है.
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ग्रामीण क्षेत्रों से आने वालों को मिलेगा बड़ा फायदा
गौरतलब है कि भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई को अंग्रेजी में कराई जाती है, लेकिन एआईसीटीई के नए फैसले के बाद न सिर्फ क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ोतरी मिलेगी, बल्कि हिंदी भी और अधिक समृद्ध होगी. क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की लंबे समय से की जा रही थी. अब ये विकल्प मौजूद होगा. गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भारतीय भाषाओं में पढ़ाई पर जोर दिया गया है. मौजूदा फैसले का सबसे अधिक फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई देगा. अक्सर देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे केवल इसलिए पिछड़ जाते हैं क्योंकि उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं होती है, लेकिन अब वह भी इंजीनियरिंग जैसी उच्च शिक्षा को अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ सकेंगे.
HIGHLIGHTS
- हिंदी समेत आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को मंजूरी
- आगे चलकर क्षेत्रीय भाषाओं की संख्या बढ़ाकर 11 करने पर विचार
- मेघावी किंतु अच्छा अंग्रेजी ज्ञान नहीं होने वाले छात्रों को होगा फायदा