आयरन ऑक्साइड नैनोकणों ( Magnetic Nano Particles ) का इस्तेमाल कर बैक्टीरिया से डीएनए को अलग करने की नई पद्धति सीखने के लिए जैव रसायन विभाग, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में एक व्यावहारिक कार्यशाला ( Bio Chemistry Workshop) में संकाय सदस्य कई नए प्रयोगों से दो-चार हुए. इस खास विषय में देशभर में पहली और अनूठी कार्यशाला का दावा कर रहे शिवाजी कॉलेज के जैव रसायन विभाग ने दिल्ली विश्वविद्यालय में चुंबकीय नैनोकणों के इस्तेमाल से जीवाणु जीनोमिक डीएनए के अलगाव पर पहली और बड़ी छलांग लगाई.
इस व्यवहारिक कार्यशाला को लेकर डीबीटी स्टार कॉलेज योजना के समन्वयक प्रो. दर्शन मलिक, संयोजक डॉ. रेणु बावेजा के अलावा जैव रसायन विभाग के संयोजक टीआईसी डॉ. जे ठाकुर कार्यशाला में विशेषज्ञ के तौर पर शामिल हुए. कार्यशाला में बतौर रिसोर्स पर्सन और कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अभिजीत मिश्रा ने विषय को बारीकी से समझाया. उन्होंने शिवाजी कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेजों से आए प्रतिभागियों को खुद प्रयोग करने कहा. उनकी निगरानी में प्रतिभागियों ने उत्साह और कौतुहल के साथ विभिन्न तरह के प्रयोगों पर हाथ आजमाया.
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और बढ़ी जैव रसायन विज्ञान की अहमियत
डॉ. मिश्रा ने बताया कि प्रतिभागियों को यह सिखाया गया है कि प्रयोगशाला में आयरन ऑक्साइड चुंबकीय नैनोकणों को कैसे संश्लेषित किया जाता है. साथ ही आगे इसका उपयोग जीवाणु कोशिकाओं के जीनोमिक डीएनए के अलगाव के लिए कैसे किया जाता है. उन्होंने बताया कि जैव रसायन विज्ञान का गंभीरता और व्यवहारिक तरीके से अध्ययन मौजूदा दौर में काफी बड़ी जरूरत बन कर सामने आई है.
HIGHLIGHTS
- शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में जैव रसायन की व्यावहारिक कार्यशाला
- चुंबकीय नैनोकणों के इस्तेमाल से जीवाणु जीनोमिक डीएनए के अलगाव का प्रयोग
- मौजूदा दौर में जैव रसायन विज्ञान के व्यवहारिक अध्ययन की जरूरत बढ़ी है