तमिलनाडु के मेडिकल छात्रों ने जल्द मेडिकल काउंसलिंग शुरु कराने को लेकर राज्य सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इससे पहले रविवार को ही केन्द्र सरकार तमिलनाडु छात्रों के नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) 2017 से बाहर रखने की मांग पर राजी हो गई थी।
पिछले साल पूरे भारत में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए नीट को अनिवार्य किए जाने के बाद यह मांग उठी थी। मद्रास और गुजरात हाईकोर्ट में मेडिकल परीक्षा के उम्मीदवारों ने नीट 2017 को रद्द किए जाने को लेकर अलग- अलग याचिका दायर की थी, क्योंकि कथित तौर पर गुजराती और तमिल माध्यम के पेपर इंग्लिश और हिन्दी माध्यम से ज्यादा कठिन थे।
मेडिकल उम्मीदवार इस मामले में नलिनि चिदम्बरम के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सामने उपस्थित होने वाले हैं। इन छात्रों की दलीलों पर कल सुनवाई होने की संभावना है। परीक्षा में सफल छात्रों की काउंसलिंग सत्र के शुरुआत और रिजल्ट को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के ऑर्डर पर रोक लगा दी थी।
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इससे पहले 24 मई को मद्रास हाईकोर्ट ने नीट रिजल्ट पर किसी तरह की कार्रवाई को लेकर रोक लगा दी थी। पूरे भारत में करीब 12 लाख कैंडिडेट्स इंग्लिश, हिन्दी और अन्य भाषाओं में नीट 2017 की परीक्षा में उपस्थित हुए थे।
आपको बता दें कि तमिलनाडु के 90% से ज्यादा छात्र-छात्राएं स्टेट बोर्ड के स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं। नीट एग्जाम का प्रारूप पूरी तरह से सीबीएसई के सिलेबस पर आधारित होने के कारण उन्हें काफी दिक्कतें आ रही है।
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HIGHLIGHTS
- तमिलनाडु के 90% से ज्यादा छात्र-छात्राएं स्टेट बोर्ड के स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं
- जल्द काउंसलिंग शुरु कराने को लेकर राज्य सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का किया रुख
Source : News Nation Bureau