कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हो तो मंजिल मिल ही जाती है. इस बात को गुजरात के एक आदिवासी बच्चे ने जीवंत किया है. दरअसल, गुजरात के डांग जिले में रहने वाले एक आदिवासी किसान के बेटे ने अविराज चौधरी ने अपनी कड़ी मेहनत से दिल्ली की राहें आसान बनाई है. अविराज को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली (IIT Delhi) में ए़डमिशन मिला है, जिसके बाद वो गांव का पहला ऐसा बच्चा बन गया है जो दिल्ली में पढ़ाई करने जा रहा है.
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इतने हौनहार बेटे को जन्म देने वाले सखराम चौधरी और सेवेंतीबाई चौधरी के11 बच्चे है, जिसमें अविराज सबसे छोटे है. पांच भाई और पांच बहनों के बीच अविराज ऐसे बच्चे निकले जो अब अपने परिवार का नाम रौशन करने इतने बड़ें इस्टि्टयूट में पढ़ने आएंगे.
अविराज ने गरीबी और सभी सुविधाओं की कमी के बीच इस मुकाम को हासिल किया है. उनकी मां अब भी खाना बनाने के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल करती है और उनके पिता परिवार का भरन-पोषण के लिए खेतीबाड़ी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अविराज ने अपनी इस कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मेरे माता-पिता नहीं जानते है कि आईआईटी क्या है. वो बस इतना जानते हैं कि उनका बेटा दिल्ली में पढ़ाई करने जा रहा है. जब उन्हें इस बारें में पता चला कि मैं दिल्ली पढ़ने जा रहा हूं तो मेरे माता-पिता समेत मेरा पूरा परिवार बहुत खुश हुआ.
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वहीं बता दें जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) मगन भुसारा और जिला कलेक्टर एन के डामोर ने शुक्रवार को डांग जिले से जेईई एडवांस परीक्षा पास करने और आईआईटी दिल्ली में प्रवेश पाने के लिए छात्रों को सम्मानित किया.
इसके साथ जिला शिक्षा अधिकारी मंगन भुसारा ने बताया, 'अब तक डांग जिले का एक भी छात्र आईआईटी जैसे किसी भी प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान में नहीं पहुंचा है. ये पहला मौका है जब यहां के किसी बच्चे ने जेईई जैसे मुश्किल परीक्षा पास कर IIT में दाखिला लेने जा रहा है. बता दें, 10वीं और 12वीं कक्षा में उन्होंने पहला स्थान हासिल किया.'
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जानकारी के मुताबिक, अविराज ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से हासिल की है. इसके बाद मालेगांव के संतोकबा ढोलकिया विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एडमिशन लेने के बाद वहीं हॉस्टल में रहकर आगे की पढ़ाई की. बताया जा रहा है कि ये स्कूल हीरा व्यापारियों और सूरत के अन्य पाटीदार समुदाय के व्यापारियों द्वारा चलाया जाता है. अविराज ने आईआईटी के लिए प्राइवेट कोचिंग सेंटर में अपना दाखिला करवा लिया. इसके बाद वो पटेल समाज भवन में ही रहने लगे. बता दें कि अविराज की पढ़ाई का सारा खर्चा स्कूल ही उठाता था.