Success Story: कहते हैं कि सच्चे योद्धा वे होते हैं जो कठिन हालात से कभी हार नहीं मानते. हरियाणा के एक छोटे से गांव की बेटी ममता यादव ने अपनी संघर्ष और मेहनत से साबित कर दिया कि असली सफलता उन्हीं को मिलती है, जो अपनी राह में आने वाली बाधाओं को चुनौती देते हैं. सक्सेस स्टोरी में आज हम बात करेंगे ममता यादव की, जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बाद भी अपनी मेहनत से सफलता हासिल की.ममता यादव हरियाणा के छोटे से गांव बसई की रहने वाली हैं. उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और मां एक हाउसवाइफ हैं. ममता ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित बलवंत राय मेहता स्कूल से की. इसके बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया और वहीं से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.
घर की आर्थिक स्थिति और संघर्ष
ममता के परिवार की आर्थिक स्थिति उस समय मजबूत नहीं थी. पिता की सीमित आय और घर की अन्य खर्चों ने ममता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन्हें आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किसी जॉब की तलाश करनी चाहिए. हालांकि, ममता का सपना आईएएस बनने का था और वह जानती थीं कि नौकरी करने से इस सपने की राह में रुकावट आ सकती है. इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में, ममता ने नौकरी के बजाय यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का तय किया.
बिना कोचिंग के सफलता की ओर कदम
साल 2015 में ममता ने UPSC की तैयारी शुरू की. चार साल की कड़ी मेहनत के बाद, साल 2019 में उन्होंने पहली बार परीक्षा पास कर ली.ममता ने ऑल इंडिया 556वीं रैंक हासिल किया था. इस रैंक के साथ उनका चयन भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा में हुआ था. लेकिन ममता का आईएएस बनने का सपना अभी भी अधूरा था अपने सपने को पूरा करने के लिए वह लगातार मेहनत करती रही. ममता दिन-रात मेहनत की, 10-12 घंटे लगातार पढ़ाई की और साल 2020 में यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुईं. इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने ऑल इंडिया 5वीं रैंक हासिल की.
गांव की पहली आईएएस अफसर
ममता यादव के लिए ये सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि वह अपन गांव की पहली आईएएस अफसर हैं. फिलहाल आईएएस ममता AGMUT कैडर में तैनात है. ट्रेनिंग के बाद, ममता नजफगढ़ में एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं.
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