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दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने पास की JEE एडवांस्ड परीक्षा, लेकिन गरीबी ने छीनी सीट, सुप्रीम कोर्ट ने की मदद

अतुल ने अपनी मेहनत और लगन से जेईई एडवांस्ड परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए और उसे आईआईटी धनबाद में सीट भी मिल गई। लेकिन कॉलेज की फीस 17,500 रुपये समय पर जमा न कर पाने के कारण उसने अपनी सीट खो दी.

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Priya Gupta
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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले से एक दिल को छू लेने वाली कहानी सामने आई है, जिसमें एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा अतुल कुमार ने जेईई एडवांस्ड परीक्षा में सफलता हासिल की. लेकिन दुख की बात यह है कि आर्थिक तंगी के चलते वह आईआईटी धनबाद में दाखिला नहीं ले सका. अतुल ने अपनी मेहनत और लगन से जेईई एडवांस्ड परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए और उसे आईआईटी धनबाद में सीट भी मिल गई. लेकिन कॉलेज की फीस 17,500 रुपये समय पर जमा न कर पाने के कारण उसने अपनी सीट खो दी. यह फीस जमा करने की अंतिम तिथि 24 जून थी.

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इन जगहों से भी नहीं मिली मदद

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में अतुल की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि उसका परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है. अतुल के माता-पिता ने कई सरकारी संस्थाओं जैसे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण से मदद मांगी, लेकिन उन्हें कहीं से भी सहायता नहीं मिली. उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने का सुझाव मिला.

सुप्रीम कोर्ट ने दी मदद की उम्मीद

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सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे, ने इस मामले पर ध्यान दिया. उन्होंने कहा कि वे छात्र की यथासंभव मदद करेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी पूछा कि अतुल पिछले तीन महीनों में क्या कर रहा था, क्योंकि फीस जमा करने की समय सीमा खत्म हो चुकी थी. अतुल का प्रयास इस साल की जेईई एडवांस्ड परीक्षा में अंतिम बार था, और यदि उसे अब मदद नहीं मिलती, तो वह फिर से परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएगा. अदालत ने इस मामले में आईआईटी मद्रास को नोटिस जारी किया है, जिससे उम्मीद है कि छात्र को न्याय मिलेगा.

जोसा को भेजा गया नोटिस

आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, अतुल का यह सपना किसी भी तरह पूरा होना चाहिए. न्यायालय का यह कदम उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा बन सकता है, जो अपनी आर्थिक स्थिति के कारण शिक्षा के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.अतुल की कहानी यह बताती है कि कठिनाइयां कितनी भी बड़ी हों, अगर मन में कुछ करने का जज़्बा हो, तो हर समस्या का समाधान संभव है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को इंतज़ार है, ताकि अतुल को उसकी मेहनत का फल मिल सके और वह अपने सपनों को साकार कर सके. अब सभी की नजरें 30 सितंबर तक आईआईटी मद्रास और जोसा के जवाब पर हैं.

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