भारत सरकार की पायलट प्रोजेक्ट अग्निपथ योजना की वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने अग्निपथ की वैधता को सही ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तेक्षप नहीं कर सकते हैं. उच्च न्यायालय ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए सोच समझकर फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ-साफ कह दिया कि इस योजना को लागू करने में किसी तरह की मनमानी नहीं की गई है. शीर्ष अदालत ने यह भा साफ कर दिया कि अग्निपथ योजना लागू होने से पहले की शॉर्ट लिस्ट किए गए अभ्यर्थियों के पास नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने वकील एम एल शर्मा और गोपाल कृष्ण की याचिकाओं को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस योजना को राष्ट्रहित में बताया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि इससे तीन सेनाओं को फायदा होगा.
वायुसेना में भर्ती से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार
वहीं, भारतीय वायुसेना में भर्ती से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. इस याचिका पर 17 अप्रैल को सुनवाई होगी. बता दें कि अग्निपथ योजना आने के बाद भारतीय वायु सेना में भर्ती की पुरानी योजना को निरस्त कर दिया था. इससे भर्ती के दौरान शॉर्ट लिस्ट किए गए उम्मीदवारों की नियुक्ति अटक गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका के आधार पर केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है. केंद्र की तरफ से जवाब मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा.
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अग्निपथ योजना के तहत 4 साल तक नौकरी का प्रावधान
पिछले साल केंद्र सरकार की ओर से अग्निपथ स्कीम लॉन्च की गई थी. इस योजना के तहत तीनों सेनाओं में निचले स्तर पर नियुक्ति की जाएगी. इसके तहत जवानों को चार साल तक देश की सेवा करने का मौका दिया जाएगा. रिटायरमेंट के बाद जवानों को अर्द्ध सैनिक बलों समेत अन्य विभागों में आरक्षण के तहत नौकरी देने का भी प्रावधान है.