Advertisment

मेडिकल कॉलेज में शुरू होगा 'MD in Emergency' कोर्स, जानें क्या है NMC का प्रस्ताव

आपदा के समय मरीजों की जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जाएगी. इसका निर्देश नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने दिया है.

author-image
Priya Gupta
New Update
MD in Emergency

Photo-social media

Advertisment

MD in Emergency : आपदा के समय मरीजों की जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जाएगी. इसका निर्देश नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने दिया है. दुर्घटना में घायल किसी भी मरीज का मेडिसिन विभाग के डॉक्टर कैसे इलाज करेंगे इसकी ट्रेनिंग उन्हें दी जाएगी. इसके बाद सर्जरी के साथ मेडिसिन विभाग के डॉक्टर भी आपातकालीन सेवा में मरीजों का इलाज कर सकेंगे. एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग खोलने और एमडी इन इमरजेंसी मेडिसिन का कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव दिया है. एसकेएमसीएच की प्राचार्य प्रो. डॉ आभा रानी सिन्हा ने बताया कि एसकेएमसीएच में भी इमरजेंसी मेडिसिन खोलने पर विभागाध्यक्ष से बात की जाएगी.

क्या होंगे इसके फायदे

मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों को आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को चलाने की भी ट्रेनिंग मेडिकल कॉलेजों में दी जाएगी. अगर कोई मरीज दुर्घटना गंभीर रूप से घायल हो गया है तो उसकी जान बचाने के लिए क्या कदम उठाने हैं, अगर मरीज को रेफर करना है तो उसे किस तरह से रेफर किया जाएगा. इसके साथ मेडिको लीगल की भी जानकारी दी जाएगी.

डॉक्टरों को मानव संसाधन प्रबंधन के भी गुर सिखाए जाएंगे.किसी भी आपात स्थिति में उपकरण के साथ कर्मियों का प्रबंधन कैसे किया जाए, यह ट्रेनिंग में बताया जाएगा. इसके अलावा डॉक्टरों को बेसिल व एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम, नेशनल डिजास्टर लाइफ सपोर्ट सिस्टम, एडवांस डिजास्टर लाइफ सपोर्ट सिस्टम के बारे में भी बताया जाएगा. मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए उनमें नेतृत्व क्षमता का भी विकास किया जाएगा. वह अस्पताल में ड्यूटी शेड्यूल को तय कर सकें, इस ट्रेनिंग में इसकी भी जानकारी दी जाएगी.

डॉक्टरों का पहला काम ये होगा

एनएमसी ने कहा है कि मेडिसिन विभाग के डॉक्टर गंभीर मरीजों का सिर्फ इलाज ही नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी स्थिर करेंगे. आपातकालीन स्थिति में मरीज बहुत बेचैन रहता है. इसलिए डॉक्टरों का पहला काम मरीज को दिमागी तौर पर शांत करना होगा.इस ट्रेनिंग में डॉक्टरों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास करने के संबंध में भी बताया जाएगा. डॉक्टरों को बताया जाएगा कि पहले गंभीर मरीज के पूर्व की बीमारियों की जानकारी लें, फिर पूरा इलाज करें.

ये भी पढ़ें-Nobel Peace Prize: शांति का नोबेल पुरस्कार दुनिया में सबसे पहले किसे मिला था? पढ़ें फैक्ट

ये भी पढ़ें-SBI SCO Recruitment: एसबीआई स्पेशलिस्ट कैडर ऑफिसर भर्ती के लिए लास्ट डेट आज, जल्द करें अप्लाई

medical-college education medical Education News Hindi
Advertisment
Advertisment
Advertisment