डीएम (DM) ने नोएडा के प्राइवेट स्कूल एपीजे स्कूल (APJ School) के खिलाफ 5 लाख का जुर्माना ठोका है. बताया जा रहा है कि मिड टर्म में स्कूल ने अपनी फीस फीस बढ़ाई थी. स्कूल पर इसके पहले 1 लाख का जुर्माना लगा था और वापस पुरानी फीस को अप्लाई करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन एपीजे के मैनेजमेंट ने डीसीजन नहीं माना और बढ़ी हुई फीस ही वसूलते रहे.
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जिसके चलते आज स्कूल पर 5 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है. साथ ही 24 घंटे के भीतर फीस रोलबैक करने का निर्देश फिर से जारी किया गया है. अगर जुर्माना और रोलबैक नहीं किया गया तो स्कूल की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की जाएगी.
बता दें कि कुछ ही दिनों पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक कानून बनाया है जिसके चलते प्राइवेट स्कूल फीस में मनमानी नहीं कर सकते. आपको बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ के इस कानून में क्या है-
यूपी में प्राइवेट स्कूलों के लिए ये हैं नियम-
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- निजी स्कूल हर साल 7-8% से ज्यादा फीस वृद्धि नहीं कर सकते हैं. कक्षा 12वीं तक सिर्फ एक ही बार एडमिशन फीस ली जा सकेगी.
- 20 हजार से ज्यादा फीस लेने वाले स्कूल दायरे में आएंगे.
- अगर निजी स्कूल नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो ऐसा पहली बार करने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. दूसरी बार ऐसा करने पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. तीसरी बार भी नियमों को उल्लंघन किया गया तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी.
- अगर स्कूल, फीस बढ़ाना चाहते हैं तो तो अध्यापकों के वेतन वृद्धि के आधार पर ही ऐसा संभव हो सकेगा यह भी 7-8% से अधिक नहीं होगी.
- निजी स्कूलों को कॉमर्शियल एक्टिविटी से हुई आय को स्कूल की आय में दिखाना होगा.
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- स्कूल रजिस्ट्रेशन फीस, एडमिशन फीस, परीक्षा शुल्क समेत 4 शुल्क अनिवार्य होंगे. जबकि बस, मेस, हॉस्टल जैसी सुविधाएं वैकल्पिक होंगी.
- स्कूल शैक्षिक सत्र के 60 दिन पहले अलग-अलग मदों के खर्च को सार्वजनिक करेंगे.
- पांच वर्षों तक ड्रेस में परिवर्तन नहीं कर सकते. अगर ऐसा होगा तो मंडलायुक्त स्तर पर एक कमेटी होगी जो इसकी जांच करेगी.
- सभी खर्चों को वेबसाइट पर प्रदर्शित करना होगा. त्रैमासिक, अर्ध वार्षिक शुल्क ही लिया जा सकता है. सालभर की फीस एक साथ लेने पर भी पाबंदी लगाने का फैसला किया गया है.
- अभिभावक, निर्धारित दुकान से किताब और यूनिफार्म खरीदने को बाध्य नहीं होंगे.
सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर समिति का गठन किया था. अभिभावकों की मांग थी कि निजी स्कूलों पर किसी तरह का अंकुश नहीं है. शिक्षकों की वेतन वृद्धि की आड़ में निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ा देते थे.
Source : News Nation Bureau