आर्यन्स के आक्रमणकारी होने की थ्योरी पर उठा सवाल, रिसर्च में हुआ अब तक का सबसे बड़ा खुलासा

रिपोर्ट को तैयार करने वाली टीम के प्रमुख प्रोफेसर वसंत शिंदे ने रिपोर्ट में इशारा करते हैं कि आर्यन हमले और आर्यन्स के बाहर आने के दोनों दावे निराधार हैं.

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Vikas Kumar
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आर्यन्स के आक्रमणकारी होने की थ्योरी पर उठा सवाल, रिसर्च में हुआ अब तक का सबसे बड़ा खुलासा

आर्यन्स के आक्रमणकारी होने की थ्योरी को लगा झटका

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Ancient History: Haryana के राखीगढ़ी में 4500 वर्ष की एक फीमेल जीनोम पर हुए एक रिसर्च में आर्यों के आक्रमणकारी होने के सिद्धांत को तगड़ा झटका लगा है. शोध से पता चलता है कि दक्षिण एशिया में किसानी जो शुरू हुई थी वो यहां के स्थानीय लोगों से हुई थी न कि पश्चिम से लोग यहां आए थे. स्टेपे में पशुओं को चराने वाले लोगों का एनातोलियन और ईरान के किसानों से संबंद्ध नहीं मिल पाया है. शोध में पता चला है कि वर्तमान समय में मध्य एशिया का स्टेपे जीन भारत के लोगों में मिलता है.

दरअसल, राखीगढ़ी में खुदाई में मिले नरकंकालों के अवशेषों के अध्ययन से पता चला है कि शिकार करना, खेती और पशुपालन भारत के ही मूल निवासियों ने सीखा था. अब इस रिसर्च के पर, रोमिला थापर जैसे इतिहासकारों को सफाई देने की जरूरत होगी जो इस बात को बड़े ही आत्म विश्वास के साथ कहते रहे हैं कि आर्यन्स आक्रमणकारी थे.

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रिपोर्ट को तैयार करने वाली टीम के प्रमुख प्रोफेसर वसंत शिंदे ने रिपोर्ट में इशारा करते हैं कि आर्यन हमले और आर्यन्स के बाहर आने के दोनों दावे निराधार हैं. इसके अलावा यह भी साफ किया है कि शिकार-संग्रह से आधुनिक समय के सभी विकास यहां के लोगों ने खुद किए थे.
बता दें कि ताजा रिपोर्ट को पूरा करने में प्रोफेसर वसंत शिंदे और उनकी टीम को कुल 3 साल का समय लगा है। रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम में भारत के पुरातत्वविद और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डीएनए एक्सपर्ट शामिल हैं। इस टीम ने 5 सितंबर को साइंटिफिक जनरल 'सेल अंडर द टाइटल' नाम से यह रिपोर्ट पब्लिश की है। यह रिपोर्ट हरियाणा के राखीगढ़ी से मिले एक नरकंकाल के अध्यन्न के आधार पर की गई है। इस नए रिसर्च का नाम 'एन एनसेंट हड़प्पन जीनोम लैक्स एनसेस्ट्री फ्रॉम स्टेपे पेस्टोरेलिस्ट और ईरानी फार्मर्स' है, जिसे साइंटिफिक जनरल ने प्रकाशित किया हैं।

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रिपोर्ट में तीन बिंदुओं को मुख्य रूप से दर्शाया गया है। पहला, प्राप्त कंकाल उन लोगों से ताल्लुक रखता था, जो दक्षिण एशियाई लोगों का हिस्सा थे। दूसरा, 12 हजार साल से एशिया का एक ही जीन रहा है। भारत में विदेशियों के आने की वजह से जीन में मिक्सिंग होती रही। तीसरा, भारत में खेती करने और पशुपालन करने वाले लोग बाहर से नहीं आए थे। हड़प्पा सभ्यता के बाद आर्यन बाहर से आए होते तो अपनी संस्कृति साथ लाते।

HIGHLIGHTS

  • राखीगढ़ी में हुई रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा. ़
  • आर्यन हमले और आर्यन्स के बाहर आने के दोनों दावे निराधार हैं.
  •  साइंटिफिक जनरल 'सेल अंडर द टाइटल' नाम से यह रिपोर्ट पब्लिश हुई है ये खास रिपोर्ट.
Ancient History aryan Romila Thapar Invasion of Aryans Haddapa
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