Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां मनुष्य को भले ही कठोर लगें लेकिन जीवन की सच्चाई यही है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई व्यक्ति चाणक्य की नीतियों को भले ही नजरअंदाज कर दे लेकिन आचार्य चाणक्य के बताए ये वचन जीवन की हर कसौटी पर व्यक्ति की मदद करते हैं. आचार्य चाणक्य के बताए गए विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करने जा रहे हैं. इस रिपोर्ट में हम लक्ष्य को पाने के लिए एकाग्रता का होना जरूरी है, जिसको लेकर चाणक्य की बताई बातों का जिक्र करेंगे. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लक्ष्य को पाना है तो सबसे पहले अपने मन को एकाग्र करना सीखना होगा. इसका आशय है कि अगर कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहता है तो उस व्यक्ति को लक्ष्य के ऊपर पूरा ध्यान केंद्रित करना होगा. उनका कहना है कि लक्ष्य के प्रति केंद्रित व्यक्ति किसी भी काम को बेहद आसानी से कर सकता है.
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आचार्य चाणक्य की बताई बातों का लोग अनुसरण कर लें तो अपने जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या को बहुत आसानी से सुलझा सकते हैं. आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी बुरी आदतों के बारे में भी बताया है जिन्हें व्यक्ति जितनी जल्दी छोड़ दे, उतना ही अच्छा है, वर्ना उसका जीवन बर्बाद हो सकता है.
1. जिन लोगों में छल और कपट की भावना होती है, वे किसी के सगे नहीं होते. ऐसे लोग अगर किसी से रिश्ता बनाते भी हैं तो स्वार्थवश बनाते हैं और स्वार्थ पूरा हो जाने के बाद कोई मतलब नहीं रखते. बुढ़ापे में ऐसे लोगों का कोई सच्चा साथी नहीं होता. इसलिए अपने मन से इस दुर्भाव को जितनी जल्दी दूर करें, उतना ही अच्छा है.
2. गलत तरीके से पैसा कमाने वाले लोग एक साथ कितना ही धन कमा लें, लेकिन वो धन निश्चित तौर पर उन्हें बर्बादी के दरवाजे पर ले जाता है और वो पैसा उनके पास नहीं टिक पाता. ऐसे लोग बुढ़ापा कई बार कंगाली में गुजारते हैं.
3. जो लोग देर तक सोते हैं, सफलता उनके दरवाजे से आकर ही लौट जाती है, ऐसे लोगों पर मां लक्ष्मी की कृपा नहीं होती और उन्हें इसका खामियाजा भविष्य में भुगतना पड़ता है.
4. जो लोग धन संचय नहीं करते या अपनी जरूरत से कहीं ज्यादा पैसा खर्च करते हैं, उनके लिए बुढ़ापा काफी कष्टकारी होता है क्योंकि बुढ़ापे में पैसा ही सच्चा मित्र होता है, जिसके भरोसे आपका जीवन कटता है.
5. जिनका जीवन अनुशासित नहीं होता, उन्हें कभी सफलता नहीं मिलती क्योंकि बगैर अनुशासन के कुछ भी पाना संभव नहीं है.
6. जिनका ध्यान हमेशा खाने में ही लगा रहता है, वे कभी महत्वपूर्ण कार्य का हिस्सा नहीं बन पाते और अपना जीवन व्यर्थ ही गंवा देते हैं. ऐसे लोगों के लिए बुढ़ापा काफी कठोर होता है.