नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD Ministry) से पाठ्यक्रम में भारतीय शिक्षा प्रणाली को शामिल करने, राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन और निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से शुल्क बढाने पर रोक लगाने जैसी सिफारिशें की है. तीन साल के पूर्वस्कूली (preschool) और चार साल के स्नातक (four-year undergraduate honours courses ) सम्मान पाठ्यक्रम एक मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताओं में से हैं, जो नरेंद्र मोदी सरकार को अपनी दूसरी पारी के पहले दिन प्राप्त हुई थी.
इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी द्वारा तैयार नई एनईपी का प्रारूप शुक्रवार को मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' (Human resource development minister Ramesh Pokhriyal 'Nishank') को सौंपा गया. निशंक ने शुक्रवार को ही कार्यभार संभाला है.
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मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन हुआ. नई शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा थी. कस्तूरीरंगन के अलावा कमेटी में गणितज्ञ मंजुल भार्गव सहित आठ सदस्य थे.
विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एक समिति की रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस समिति को बनाया था, उस समय स्मृति ईरानी मंत्रालय का प्रभार संभाल रही थीं.
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क्या कहा गया है प्रारूप में?
नीति के प्रारूप में कहा गया है, ‘ज्ञान में भारतीय योगदान और ऐतिहासिक संदर्भ को जहां भी प्रासंगिक होगा, उनको मौजूदा स्कूली पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाएगा.’
इसमें कहा गया कि गणित, खगोल शास्त्र, दर्शन, मनोविज्ञान, योग, वास्तुकला, औषधि के साथ ही शासन, शासन विधि, समाज में भारत का योगदान को शामिल किया जाए.
प्रारूप में कहा गया है कि निरंतर और नियमित आधार पर देश में शिक्षा के दृष्टिकोण को विकसित करने, मूल्यांकन करने और संशोधन करने के लिए एक नयी शीर्ष संस्था राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या एनईसी का गठन किया जाए .
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलने की भी सिफारिश
समिति ने जोर दिया है कि शिक्षा और पठन-पाठन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय किया जाना चाहिए .
नई नीति के प्रारूप में सुझाव दिया गया है कि निजी स्कूलों को अपने शुल्क को तय करने के लिए मुक्त किया जाए, लेकिन वे इसमें मनमाने तरीके से इजाफा नहीं कर सकें. इसके लिए कई सुझाव दिये गये हैं.
HIGHLIGHTS
- राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन और निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से शुल्क बढाने पर रोक लगाने जैसी सिफारिशें की है.
- मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन हुआ.
- समिति ने जोर दिया है कि शिक्षा और पठन-पाठन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय किया जाना चाहिए.