नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत देश में एक उच्च शिक्षा आयोग गठित करने का प्रस्ताव है. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस आयोग के विषय में शिक्षकों का फीडबैक मांगा है. फीडबैक आज यानी 30 मार्च तक देने को कहा गया है. लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (डूटा) ने फिलहाल यह फीडबैक देने से इनकार कर दिया है. डूटा के मुताबिक यह आयोग यूजीसी के बदले गठित किया जा रहा है. इतने महत्वपूर्ण बदलाव पर फीडबैक के लिए केवल दो-तीन दिन का समय दिया गया है जो कि न काफी है.
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डूटा के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा, 'दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से 23 मार्च को एक पत्र जारी किया गया है. इसमें हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया के गठन पर डीन, डायरेक्टर, प्रिंसिपल आदि से फीडबैक मांगा गया है. महज 4-5 कार्य दिवसों के भीतर इस प्रकार का फीडबैक देना संभव नहीं है. वह भी तब जब की अधिकांश शिक्षक परीक्षाओं के संचालन और नए सेमेस्टर में व्यस्त हैं.'
गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति के चैप्टर 18, 19 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) जैसे सभी स्वायत्त निकायों को समाप्त कर देश में एक उच्च शिक्षा आयोग गठित करने का प्रस्ताव है. मेडिकल और लॉ एजुकेशन को छोड़कर अन्य सभी कोर्सेज के लिए एक हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा. यह बदलाव 2021 से ही लागू होने शुरू हो जाएंगे. दिल्ली विश्वविद्यालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक समिति बनाई है. हालांकि गठन के साथ ही इस समिति का विरोध भी शुरू हो गया है.
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इस बाबत डूटा के सदस्यों ने प्रभारी वीसी को एक विरोध पत्र लिखा है. मिरांडा हाउस कालेज में फिजिक्स की प्रोफेसर आभा देव ने कहा, 'हमने हमेशा इस तरह से मनमाने तरीके से कमिटी या वर्किं ग ग्रुप को बनाये जाने का विरोध किया है. आखिर क्यों एसी और ईसी जैसी वैधानिक संस्थाओं को दरकिनार किया जा रहा है. मनमाने तरीके से कमिटी बनाकर प्रशासन अपने मंसूबे आसानी से पूरे कर सकता है, पर विधायी समितियों को दरकिनार करने का खामियाजा विश्वविद्यालय को लंबे समय तक भोगना पड़ेगा.'
डीयू प्रशासन ने 25 सितम्बर को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए कमिटी बनाई थी. कमिटी का उद्देश्य दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करवाना एवं सुझाव देना है. डूटा के सचिव प्रोफेसर राजिंदर सिंह ने कहा, 'दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक जल्दबाजी में अपना फीडबैक नहीं दे सकते. हमने शिक्षकों से कहा है कि वह हमें 20 अप्रैल तक अपना फीडबैक मुहैया कराएं. वहीं हमने विश्वविद्यालय प्रशासन से फीडबैक के लिए और अधिक समय देने की मांग की है.'