दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के चार प्रोफेसरों ने कोविड-19 के कारण पैदा हुए हालात सामान्य न होने की स्थिति में ‘ओपन-बुक’(Open Book) माध्यम से ऑनलाइन परीक्षाएं कराने के विश्वविद्यालय के ‘‘मनमाने फैसले’’ के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखा है. ‘ओपन-बुक’ परीक्षा में परीक्षार्थियों को सवालों के जवाब देते समय अपने नोट्स, पाठ्य पुस्तकों और अन्य स्वीकृत सामग्री की मदद लेने की अनुमति होती है. छात्र अपने घरों में बैठकर वेब पोर्टल से अपने-अपने पाठ्यक्रम के प्रश्न पत्र डाउनलोड करेंगे और दो घंटे के भीतर उत्तर-पुस्तिका जमा करेंगे.
यह भी पढ़ें- MP में 10वीं बोर्ड परीक्षा के शेष बचे पेपर अब नहीं होंगे, बिना परीक्षा दिए किया जाएगा पास: CM शिवराज का बड़ा बयान
विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनमाने तरीके से फैसला किया
राष्ट्रपति को पत्र लिखने वाले चार प्रोफेसर कौशल पंवार, प्रेमचंद, डॉ. डी आर अनिल कुमार और दीपांकर हैं. पत्र में कहा गया है, ‘‘हम आपसे इस बात पर तत्काल ध्यान देने की अपील करते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनमाने तरीके से फैसला किया और 13 मई 2020 को सभी विभागों के प्रमुखों को पत्र लिखकर प्रश्न पत्र के तीन सेट्स ‘ओपन-बुक’ परीक्षा के लिए तैयार करने के लिए कहा.’’ प्रोफेसरों ने कहा, ‘‘ ‘ओपन-बुक’ माध्यम से परीक्षा कराने का यह कदम उच्च शिक्षा को निजीकरण की ओर लेकर जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि ‘ओपन-बुक’ और ‘क्लोज-बुक’ व्यवस्थाएं बिल्कुल अलग-अलग हैं.
यह भी पढ़ें- GSEB Result 2020: गुजरात 12वीं बोर्ड के साइंस के रिजल्ट घोषित, यहां करें चेक
छात्रों के बीच एक तरह से भेद-भाव को भी बढ़ावा देगी
इन दोनों व्यवस्थाओं में प्रश्न पत्र की आवश्यकताएं भी अलग होती हैं. प्रोफेसरों ने दावा किया कि ‘ओपन-बुक’ परीक्षा विभिन्न स्तरों पर छात्रों के बीच एक तरह से भेद-भाव को भी बढ़ावा देगी. जिन छात्रों के पास संसाधन हैं, केवल उन्हें ही इसका फायदा मिल सकता है. इस बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ने डीयू छात्र प्रतिनिधियों, डूसू के आठ कार्यकारी परिषद सदस्यों और 41 निर्वाचित कॉलेज संघ प्रतिनिधियों की एक आम सभा बुलाई. डूसू ने अकादमिक और परीक्षाओं के मौजूदा हालात पर चर्चा करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के साथ भी बैठक की.