जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (Jawaharlal Nehru University) के पूर्व छात्र और भारत के युवा शोधार्थी डॉ. महमूद कूरिया (Dr Mahmood Kooria) को इस्लाम पर रिसर्च करने के लिए दो करोड़ रुपये की रकम दी जाएगी. ये पैसा उन्हें नीदरलैंड की लीडेन यूनिवर्सिटी (Leiden University) देगी. इतने पैसों से वो ये स्टडी करेंगे कि कैसे मैट्रियार्कियल मुसलमान शरिया (इस्लामिक लॉ) के साथ जुड़े हैं. इसके अलावा वो इस्लाम से जुड़े कई अन्य पहलुओं पर भी अध्ययन करेंगे. नीदरलैंड की लीडेन यूनिवर्सिटी उन्हें 'मैट्रियार्कियल इस्लामः जेंडरिंग शरिया इन द इंडियन ओशन वर्ल्ड' के लिए 2.50 लाख यूरो या भारतीय रुपये में करीब 2 करोड़ रुपये देगी.
इस बारे में मीडिया रिपोर्ट में डॉ. महमूद ने बताया है कि 'वेनी ग्रांट की मदद से मैं जो स्टडी करूंगा, उससे मुझे मुस्लिम समुदाय को और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और उसमे कुछ नया एंगल खोजने की कोशिश करुंगा. उनके ऊपर अलग-अलग रूढ़िवाद थोपने के बजाय दुनिया को मुस्लिम समुदाय में मौजूद विभिन्नता को समझना चाहिए.
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गौरतलब है कि डॉ. महमूद कूरिया ने लीडेन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ हिस्ट्री से अपनी पीएचडी की पढ़ाई की है. इसके पहले उन्होंने अपनी यूजी और पीजी की पढ़ाई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू), दारूल हूडा इस्लामिक यूनिवर्सिटी और कैलीकट यूनिवर्सिटी से पूरी की है.
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लीडेन यूनिवर्सिटी के बारे में (About Leiden University)
लीडेन यूनिवर्सिटी की स्थापना 1575 में हुई थी और ये यूनिवर्सिटी रिसर्च मामले में यूरोप की लीडिंग यूनिवर्सिटी है. इस यूनिवर्सिटी में कुल 7 फैकल्टी हैं जिनमें आर्ट, ह्यूमैनिटी और साइंस की फैकल्टी प्रमुख है. ये फैकल्टियां लीडेन और हेग में अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं.
HIGHLIGHTS
- भारत के युवा शोधार्थी डॉ. महमूद कूरिया (Dr Mahmood Kooria) को इस्लाम पर रिसर्च करने के लिए दो करोड़ रुपये की रकम दी जाएगी.
- ये पैसा उन्हें नीदरलैंड की लीडेन यूनिवर्सिटी (Leiden University) देगी.
- इतने पैसों से वो ये स्टडी करेंगे कि कैसे मैट्रियार्कियल मुसलमान शरिया (इस्लामिक लॉ) के साथ जुड़े हैं.
Source : News Nation Bureau