मोदी सरकार (Modi Sarkar) की कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को मंजूरी दे दी है. इसके तहत स्कूली शिक्षा में बड़े बदलाव किए गए हैं. 10+2 की पुरानी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और उसके बदले 5+3+3+4 की नई व्यवस्था लागू हो जाएगी. इसके तहत छात्रों को चार विभिन्न वर्गों में बांटा गया है. पहले वर्ग में 3 से 6 वर्ष की आयु के छात्र होंगे, जिन्हें प्री प्राइमरी या प्ले स्कूल से लेकर कक्षा दो तक की शिक्षा दी जाएगी. इसके बाद कक्षा दो से पांच तक और फिर कक्षा पांच से आठ और अंत में चार वर्षों के लिए नौ से लेकर 12वीं तक के छात्रों को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कार्यक्रम बनाया गया है.
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शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नई शिक्षा नीति को लेकर कहा, पाठ्यक्रम लचीलेपन पर आधारित होगा, ताकि छात्रों को अपने सीखने की गति और कार्यक्रमों को चुनने का अवसर मिले. इस तरह वे जीवन में अपनी प्रतिभा और रुचि के अनुसार अपने रास्ते चुन सकेंगे. कला और विज्ञान, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं आदि के बीच में कोई भेद नहीं होगा. निशंक ने कहा, इससे सभी प्रकार के ज्ञान की महत्ता को सुनिश्चित किया जा सकेगा और सीखने के अलग-अलग क्षेत्रों के बीच के खाई को समाप्त किया जा सकेगा
प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-भाल शिक्षा शुरुआती वर्षों की महत्ता पर जोर देती है और निवेश में पर्याप्त वृद्धि और नई पहलों के साथ तीन-छह वर्ष के बीच के सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक-बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु लक्षित है. तीन से पांच वर्ष की आयु के बच्चों की जरूरतों को आंगनवाड़ियों की वर्तमान व्यवस्था द्वारा पूरा किया जाएगा और पांच से छह वर्ष की उम्र को आंगनवाड़ी/स्कूली प्रणाली के साथ खेल आधारित पाठ्यक्रम के माध्यम से, जिसे एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया जाएगा, सहज व एकीकृत तरीके से शामिल किया जाएगा.
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प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा की योजना और उसका कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास, महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा जनजातीय मामलों के मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा. इसके सतत मार्गदर्शन के लिए एक विशेष संयुक्त टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा.
मूलभूत साक्षरता और मूल्य आधारित शिक्षा के साथ संख्यात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्राथमिकता पर एक राष्ट्रीय साक्षरता और संख्यात्मकता मिशन स्थापित किया जाएगा. ग्रेड एक-तीन में प्रारंभिक भाषा और गणित पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. एनईपी 2020 का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रेड तीन तक के प्रत्येक छात्र को वर्ष 2025 तक बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान हासिल कर लेना चाहिए.
Source : News Nation Bureau