कोरोना संक्रमण (Corona Epidemic) काल के दौरान निजी स्कूल वार्षिक और विकास शुल्क वसूल सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस बाबत हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि जब तक स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है, वे छात्रों से वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क नहीं वसूल कर सकेंगे. जाहिर है इस आदेश से कोरोना की मार झेल रहे निजी स्कूलों को आर्थिक स्तर पर कुछ राहत मिल सकेगी.
10 जुलाई को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच के सामने मामला लंबित है और हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार का पक्ष भी सुना था. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क लेने की अनुमति देने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.अब इस मामले की सुनवाई 10 जुलाई को होगी. गौरतलब है कि पीठ ने 450 निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक्शन कमेटी से कहा कि वह एकल न्यायाधीश के आदेश के 31 मई के फैसले खिलाफ आप सरकार और छात्रों की याचिकाओं पर अपना रुख स्पष्ट करे.
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एकल पीठ ने किया था फीस वसूली पर रोक से इंकार
इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को लॉकडाउन खत्म होने के बाद की अवधि के लिए छात्रों से वार्षिक, विकास शुल्क लेने की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. एकल पीठ ने 31 मई को अपने आदेश में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा अप्रैल और अगस्त 2020 में जारी दो कार्यालय आदेशों को निरस्त कर दिया था, जो वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क लेने पर रोक लगाते और स्थगित करते हैं. कोर्ट ने कहा था कि वे ‘अवैध’ हैं और दिल्ली स्कूल शिक्षा (डीएसई) अधिनियम एवं नियमों के तहत शिक्षा निदेशालय को दी शक्तियों से परे है. न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने 31 मई के फैसले में गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को बच्चों से वार्षिक और विकास शुल्क लेने की अनुमति प्रदान कर दी थी.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई तक लगाई थी शुल्क पर रोक
- हाईकोर्ट ने वार्षिक-विकास शुल्क वसूली पर रोक से किया था इंकार
- SC ने HC का आदेश बरकरार रखा, अगली सुनवाई 10 जुलाई को