एनसीईआरटी (NCERT) की इतिहास से जुड़े कुछ तथ्यों पर बवाल खड़ा हो गया है. यह मामला एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब में मुगल शासकों का महिमामंडन से जुड़ा है. इन किताबों में दावा है कि औरंगजेब जैसे आक्रांताओं ने भारत में रहते हुए मंदिरों की रक्षा की और उनकी देखरेख का जिम्मा उठाया था. लेकिन अब इस दावे को लेकर विवाद हो गया है. एक आरटीआई कार्यकर्ता दपिंदर सिंह ने मुगल शासकों का महिमामंडन करने पर एनसीईआरटी को लीगल नोटिस भेजा है और साथ ही कितान के अंदर मुगलों की तारीफ में लिखी गईं भ्रामक बातों को हटाने की मांग की है.
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आरटीआई कार्यकर्ता दपिंदर के मुताबिक, एनसीईआरटी (NCERT) की 12वीं की इतिहास की पुस्तक 'थीम्स इन इंडियन हिस्ट्री पार्टी-2' के पेज नंबर 234 पर लिखा है कि मुगल बादशाहों द्वारा युद्ध के दौरान हिंदू मंदिरों को ढहा दिया गया था. इसके साथ ही किताब में आगे लिखा है कि युद्ध खत्म हो जाने के बाद मुगल बादशाह शाहजहां और औरंगजेब ने मंदिरों को फिर से बनवाने के लिए ग्रांट जारी की थी. पिछले दिनों दपिंदर ने इसकी पुष्टि के लिए एनसीईआरटी से आधिकारिक विवरण भी मांगा था. जिसके जवाब में एनसीईआरटी ने कोई आधिकारिक विवरण मौजूद नहीं होने की बात कही थी.
कुछ महीने पहले दपिंदर ने आरटीआई फाइल की थी, जिसमें NCERT की पुस्तकों (जिन्हें स्कूलों में पठाया जाता रहा है) में किए गए दावों के स्रोत के बारे में जानकारी मांगी थी. विशेष रूप से आरटीआई में उन स्रोतों की मांगी गई, जिसमें NCERT की कक्षा 12वीं में इतिहास की पुस्तक में यह दावा किया गया था कि ‘जब (हिंदू) मंदिरों को युद्ध के दौरान नष्ट कर दिया गया था, तब भी उनकी मरम्मत के लिए शाहजहां और औरंगजेब ने अनुदान जारी किए थे.'
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आरटीआई में शाहजहां और औरंगजेब द्वारा मरम्मत किए गए मंदिरों की संख्या भी पूछी गई थी. हालांकि एनसीईआरटी की ओर से दिए गए इन दोनों सवालों के जवाब बेहद चौंकाने वाले हैं. इन सवालों पर प्रतिक्रिया के तौर पर एनसीईआरटी ने जवाब में कहा था- 'विभाग की फाइलों में जानकारी उपलब्ध नहीं है.'
जिसके बाद अब आरटीआई कार्यकर्ता दपिंदर ने दिल्ली हाईकोर्ट के वकील कनक चौधरी के जरिए एनसीईआरटी (NCERT) को लीगल नोटिस भेजा है. नोटिस में उन्होंने यह भी लिखा है कि मुगल आक्रांताओं की प्रशंसा में लिखे गए कथित भ्रामक तथ्यों को हटाया जाए. आरटीआई कार्यकर्ता दपिंदर सिंह कहते हैं कि किताब का पैराग्राफ पढ़कर यह प्रतीत होता है कि बिना किसी तथ्य के मुगल शासकों के महिमा मंडन के लिए पैरा जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इतिहास में वही बातें लिखी जानी चाहिए, जिनके पुख्ता प्रमाण हों.
Source : News Nation Bureau