Teachers Day Special: 1963 को मना था पहला टीचर्स डे, जानें इस दिन की इंटरेस्टिंग हिस्ट्री और महत्व

आज हम आपको टीचर्स डे के इतिहास से लेकर इसे मनाने के महत्व तक एक एक बात डिटेल में बताएंगे. साथ ही, ये जानकारी भी देंगे कि किन किन देशों में कौन कौन से दिन टीचर्स डे मनाया जाता है. 

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Gaveshna Sharma
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Teachers Day Significance History and other interesting facts

Teachers Day Significance History and other interesting facts ( Photo Credit : Wallpaper Crave)

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हर साल 5 सितंबर को भारत में टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन स्कूलों में तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं और बच्चे टीचर्स बनते हैं. एक शिक्षक का किसी भी छात्र के जीवन में खास महत्व होता है. कहा जाता है कि किसी भी बच्चे के लिए उसके जीवन में उसके माता-पिता के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान उसके शिक्षक का ही होता है. किसी बच्चे के बनते, संवरते और निखरते भविष्य के पीछे एक शिक्षक का अहम योगदान होता है. एक शिक्षक के बिना छात्र का जीवन अधूरा रहता है. बस कुछ ही दिनों में शिक्षक दिवस यानी कि टीचर्स डे आने को है. ऐसे में आज हम आपको टीचर्स डे के इतिहास से लेकर इसे मनाने के महत्व तक एक एक बात डिटेल में बताएंगे. साथ ही, ये जानकारी भी देंगे कि किन किन देशों में कौन कौन से दिन टीचर्स डे मनाया जाता है. 

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- इस वजह से मनाते हैं टीचर्स डे 
साल 1962 वो वक्त था जब भारत के राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे. उनके राष्ट्रपति बनने के अवसर और उनके जन्मदिन के उपलक्ष में जब छात्रों ने 5 सितम्बर को सेलिब्रेट करना चाहा तब उन्होंने इस दिन को उनके जन्मदिन के बजाय शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई और तभी से उनकी जयंती यानी 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा. 

- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे 
डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे. वे एक प्रसिद्ध विद्वान, भारत रत्न पाने वाले, प्रथम उपराष्ट्रपति और स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे. 

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- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा में योगदान 
डॉ एस राधाकृष्णन समकालीन भारत के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं. उन्होंने सैद्धांतिक, धार्मिक, नैतिक, शिक्षाप्रद, सांप्रदायिक और ज्ञानवर्धक विषयों से शुरू होने वाले विविध विषयों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने कई मान्यता प्राप्त पत्रिकाओं के लिए कई लेख लिखे जो बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं. भारत के सबसे प्रतिष्ठित बीसवीं सदी के तुलनात्मक धर्म और दर्शन के विद्वानों में से एक, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज, मैसूर विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और शिकागो विश्वविद्यालय जैसे विभिन्न भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कॉलेजों और संस्करण में प्रोफेसर के रूप में भी काम किया था. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए सोलह बार और नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ग्यारह बार नामांकित किया गया था.

- टीचर्स डे का महत्व 
पहली बार टीचर्स डे 60 के दशक में मनाया गया था, जब डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने पूरे देश को बच्चों के जीवन में शिक्षकों की एहमियत से रूबरू कराया था. डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने कहा था कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है, जहां कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. शिक्षक केवल पढ़ाते ही नहीं हैं, बल्कि हमें जीवन के अनुभवों से गुजरने के दौरान अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना भी सिखाते है. एक देश का भविष्य अपने बच्चों और शिक्षकों के हाथों में होता है, संरक्षक के रूप में, छात्रों को भविष्य के नेताओं में ढाला जा सकता है जो भारत के भाग्य को आकार देते हैं. कैरियर और व्यवसाय में सफल होने के लिए वे हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. शिक्षक हमें एक अच्छा इंसान, समाज का बेहतर सदस्य और देश का एक आदर्श नागरिक बनने में मदद करते हैं. इस दिन को बच्चे अपने शिक्षकों के सम्मान के रूप में मनाते हैं. स्कूल, कॉलेज में इस दिन बच्चे अपने टीचर्स को उपहार देते हैं, उनसे आशीर्वाद लेते हैं, टीचर्स के लिए खासतौर पर पार्टी का भी आयोजन करते हैं. 

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- जब पहली बार भारत में मनाया गया था टीचर्स डे 
वर्ष 1965 में, स्वर्गीय डॉ. एस. राधाकृष्णन के कुछ प्रमुख छात्रों ने उस महान शिक्षक के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक सभा का आयोजन किया. उस सभा में, डॉ. राधाकृष्णन ने अपने भाषण में अपनी जयंती समारोह के संबंध में अपना गहरा आरक्षण व्यक्त किया और इस बात पर जोर दिया कि भारत और बांग्लादेश के अन्य महान शिक्षकों को श्रद्धांजलि देकर उनकी जयंती को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाना चाहिए. तभी से 1962 से, 5 सितंबर को आज तक शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

- ऐसे हुई थी अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस की शुरुआत 
यूनेस्को ने साल 1994 में  5 अक्टूबर को टीचर्स डे यानी श‍िक्षक दिवस मनाने की घोषणा की थी. एक ऐसा दिन, जब श‍िक्षा के जरिये नई पीढ़ी को ज्ञान देने वालों का सम्मान हो. शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने, भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने और शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरुकता लाने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी. 

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- अलग अलग देशों में मनाया जाता है  
शिक्षक दिवस को चीन से लेकर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अल्बानिया, इंडोनेशिया, ईरान, मलयेशिया, ब्राजील और पाकिस्तान तक शामिल हैं. हालांकि हर देश में इस दिवस को मनाने की तारीख अलग-अलग है. जैसे कि- चीन में 10 सितंबर तो अमेरिका में 6 मई, ऑस्ट्रेलिया में अक्तूबर के अंतिम शुक्रवार को, तो वहीं ब्राजील में 15 अक्तूबर को और पाकिस्तान में 5अक्तूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

HIGHLIGHTS

  • भारत में 1962 में मनाया गया था पहला शिक्षक दिवस 
  • अंतरराष्ट्रीय स्टार पर 1994 में टीचर्स डे सेलिब्रेशन की हुई थी घोषणा   
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