भारत ज्ञान परंपरा में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. प्राचीन समय से अब तक यहां गुरु-शिष्यों ने कई मिसालें कायम की हैं. हालांकि, गूगल के जमाने में गुरु-शिष्य परंपरा अब उतना प्रगाढ़ नहीं है जितना हम किताबों में पढ़ते हैं. लेकिन एक शिक्षक ही किसी के जीवन में ज्ञान की ज्योति जलाता है जो समाज को प्रकाशित करता है. भारत में गुरु पर्व मनाने की परंपरा भी बहुत पुरानी है. हमारे देश में गुरु का स्थान बहुत ही ऊंचा है. आधुनिक समय में देश के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी. डॉ राधाकृष्णन विद्वान, विचारक और बहुत सम्मानित शिक्षक थे.
शिक्षक दिवस के दिन स्कूल, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों में शिक्षक दिवस और गुरु शिष्य परंपरा पर भाषण प्रतियोगिता होती है. इस दिन शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है. इस बार कोविड-19 महामारी के कारण महीनों स्कूल बंद रहे हैं, कई जगह स्कूल खुल भी गए है. वर्चुअली पढ़ाई के साथ छात्र शिक्षक दिवस पर शिक्षकों के लिए कार्ड बनाकर भेज रहे हैं, तो कुछ छात्र अपने प्रिय शिक्षक पर कविता लिखकर भेज रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण छात्र विडियो आदि बनाकर शिक्षकों का आभार प्रकट कर रहे हैं.
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शिक्षक दिवस स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक में मनाया जाता है. इस दिन छात्रों में भाषण प्रतियोगिता, नृत्य-संगीत, कविता पाठ आदि का भी आयोजन होता है. हमारी संस्कृति में भी माता-पिता से भी ऊंचा दर्जा गुरु को दिया जाता है. एक तरफ जहां माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं तो शिक्षक उनके जीवन को आकार देते हैं. शिक्षक हमें एक अच्छा नागरिक बनाते हैं. शिक्षक हमारे जीवन की नींव होते हैं. वे एक छात्र के लिए दूसरी मां की तरह होते हैं.
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए. डॉ. राधाकृष्णन का कहना था कि, "शिक्षक वह नहीं जो विद्यार्थी के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें."
भारत में जहां 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है वहीं विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्तूबर को मनाया जाता है. यूनेस्को ने 1994 में शिक्षकों के कार्य की सराहना के लिए 5 अक्तूबर को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाने को लेकर मान्यता दी थी. सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले को देश की पहली महिला शिक्षक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने लड़कियों की शिक्षा में अहम योगदान दिया था. आज छात्रो में शिक्षकों के प्रति अवज्ञा भाव बढ़ा है. इसका कारण दोनों तरफ से विचलन है. भौतिकतावादी समाज में सब्जेक्टिवनेस (व्यक्तिनिष्ठता) मुख्य ध्येय हो गया है. अवज्ञा भाव सिर्फ शिक्षकों के प्रति ही नहीं है बल्कि परिवार के अंदर भी है.
HIGHLIGHTS
- भारत में जहां 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है
- विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्तूबर को मनाया जाता है
- राधाकृष्णन का मानना था कि सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए