दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के चुनाव में अभी दो महीने बाकी है, लेकिन शिक्षक संगठनों में चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. यह चुनाव हर दो साल बाद होते हैं. इस वर्ष 2021-23 के चुनाव अगस्त के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है. माना यह भी जा रहा है कि कोविड-19 के चलते तिथि को आगे बढ़ाया जा सकता है. डूटा चुनावों के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के शिक्षक संगठनों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को तय करने के लिए बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने आगामी डूटा चुनाव को लेकर शनिवार को संगठन की ऑन लाइन मीटिंग की. मीटिंग की अध्यक्षता डीटीए की अध्यक्ष डॉ आशा रानी ने की.
ऑनलाइन मीटिंग में नामों पर हुई चर्चा
मीटिंग की अध्यक्षता कर रही डॉ आशा रानी ने बताया कि डूटा के चुनाव को लेकर बुलाई गई ऑन लाइन मीटिंग में कुछ वरिष्ठ शिक्षकों के नामों पर गम्भीरता से विचार किया गया. इन नामों में सबसे ज्यादा चर्चा देशबंधु कॉलेज, शहीद भगतसिंह कॉलेज, भारती कॉलेज, श्यामलाल कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज में पढ़ा रहे शिक्षकों के नाम सामने आए हैं. उन्होंने बताया है कि एक-दो नामों पर अंत में विचार किया जाएगा इसके लिए डीटीए की एक मीटिंग और बुलाई जाएगी उसी में अध्यक्ष, एग्जीक्यूटिव पदों पर लड़ने वाले शिक्षकों का नाम घोषित कर दिया जायेगा. इस मीटिंग में डीटीए के प्रभारी डॉ हंसराज सुमन, सचिव डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ संगीता मित्तल, डॉ सुनील कुमार, डॉ चारु मित्तल कोषाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार सिंह के अलावा कार्यकारिणी सदस्य भी उपस्थित रहे.
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अध्यक्ष के साथ एग्जीक्यूटिव के भी चुनाव का प्रस्ताव
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी व पूर्व एकेडेमिक काउंसिल मेम्बर डॉ हंसराज सुमन ने बैठक में यह प्रस्ताव रखा कि इस बार डूटा चुनाव में अध्यक्ष पद के साथ-साथ डूटा एग्जीक्यूटिव में भी अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए ताकि शिक्षकों के बीच यह संदेश दिया जा सके कि राष्ट्रीय पार्टियों के शिक्षकों से हटकर तीसरे मोर्चे के रूप में उम्मीदवार खड़ा किया जा रहा है. उनका कहना था कि वे सामाजिक न्याय की विचारधारा वाले शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर अध्यक्ष पद पर गठबंधन कर सकते हैं. अध्यक्ष पद पर संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए इससे संगठन को मजबूती मिलेगी और ज्यादा से ज्यादा शिक्षक जुड़ेंगे.
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इस बार रहेंगे कई बड़े मुद्दे
डॉ हंसराज का कहना है कि इस बार का डूटा का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले एक दशक से विभागों व कॉलेजों में स्थायी नियुक्तियां का न होना व शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी 5 दिसम्बर 2019 के सकरुलर को लागू नहीं करना है जिसके कारण कुछ कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स को ईडब्ल्यूएस आरक्षण व वर्कलोड के नाम पर हटाने के प्रयास किए जाते रहे हैं. डूटा चुनाव के लिए बुलाई गई इस मीटिंग में डीटीए के सचिव डॉ. मनोज कुमार सिंह का कहना था कि टीचर्स एसोसिएशन से ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को जोड़ने के लिए कॉलेज स्तर पर इसकी यूनिट बनाई जाये. इसके अतिरिक्त जुलाई माह में नार्थ कैम्पस व साउथ कैम्पस के विभागों को जोड़ने के लिए संगठन का विस्तार किया जाए. उनका कहना था कि हमें ईस्ट कैम्पस व वेस्ट कैम्पस बनवाने की मांग को अपने एजेंडे में रखना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- 2021-23 के चुनाव अगस्त के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना
- कोविड-19 संक्रमण के चलते तिथि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है
- ईस्ट कैम्पस व वेस्ट कैम्पस बनवाने की मांग चुनावी एजेंडे में