सोशल मीडिया एक ऐसा जरिया है जिसके बदौलत किसी भी बात को जितना बेबाकी से कहा जा सकता है उतना ही किसी भी बात पर बवाल उठाया जा सकता है. ऐसा ही कुछ एक बार फिर देखने को मिल रहा है. जब हिन्दू सिंबल 'Swastika' को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. दरअसल, ट्विटर पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है जिसमें swastika को लेकर बेहद ही गंभीर बात कही गई है. अब उस पोस्ट पर लोग तरह तरह के कमेंट कर रहे हैं. कोई स्वास्तिक को हिन्दुओं का प्रतीक बता रहा है तो कोई नाज़ी का सिंबल. चलिए जानते हैं आखिर क्या है ये पूरा माजरा.
यह भी पढ़ें: दिल्ली के स्कूलों से सीख बोडोलैंड करेगा शिक्षा में नई शुरूआत
दरअसल, डॉ. अभिषेक सिंघवी ने अपने ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने 'Swastika' के बारे में बताते हुए लिखा है कि "#Hindu #Swastika, #Nazi #hakenkreuz के सामान नहीं है. #Hindu, #Buddhist, #Jains स्वस्तिक का उपयोग शांति और समृद्धि के प्रतीक के रूप में करते हैं. #Nazis ने इस प्रतीक का दुरुपयोग किया. यह उसी तरह है जैसे किसी अन्य धर्म को उसके सिद्धांतों के दुरुपयोग के लिए राक्षसी बनाना. इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए और इसकी निंदा होनी चाहिए."
#Hindu #Swastika isn't the same as the #Nazi #hakenkreuz. Hindus, #Buddhists, #Jains use Swastik as symbol of peace &prosperity. #Nazis misused the symbol. This is the same as demonizing any other religion for misuse of its tenets and should be discouraged & condemned.
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) July 24, 2020
वहीं अब इस पोस्ट पर लगातार कमेंट आ रहे हैं. एक यूजर ने लिखा है, 'नाजियों का प्रतीक एक झुका हुआ क्रॉस था.' वहीं एक और यूजर ने लिखा है, 'बिल्कुल...स्वास्तिक शुद्ध, पवित्र और संपूर्ण है. गैर तुलनीय है. हमें इसके बारे में स्पष्ट रूप से शिक्षित करने की आवश्यकता है.' इसके अलावा, एक और कई लोग ऐसे भी हैं जो इसका विरोध करते दिखे. एक यूजर ने लिखा कि, 'इस पोस्ट के जरिये भावनाएं भड़काने का काम किया जा रहा है.' तो वहीं, किसी ने हाजी के सिंबल को क्रॉस बताते हुए इसे क्राइस्ट का प्रतीक बताया है.
बता दें कि, हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का बहुत महत्व है. स्वास्तिक शब्द मूलभूत 'सु+अस' धातु से बना है. 'सु' का अर्थ कल्याणकारी एवं मंगलमय है,' अस 'का अर्थ है अस्तित्व एवं सत्ता. इस प्रकार स्वास्तिक का अर्थ हुआ ऐसा अस्तित्व, जो शुभ भावना से भरा और कल्याणकारी हो. स्वास्तिक को सतिया भी कहा जाता है. हिन्दू धर्म ग्रंथों में स्वास्तिक के महत्व के बारे में विस्तार में बताया गया है.
यह भी पढ़ें: Oxford जाकर कानून की पढ़ाई करने वाली देश की पहली महिला, आज के दिन ही मिला था दाखिला
भारत के अलावा अमेरिका और जर्मन में भी स्वास्तिक चिन्ह देखने को मिलता है जिसकी कहानी कुछ इस तरह है कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान एडोल्फ हिटलर ने उल्टे स्वास्तिक का चिन्ह अपनी सेना के प्रतीक के रूप में शामिल किया था. सभी सैनिकों की वर्दी और टोपी पर तब यह उल्टा स्वास्तिक चिन्ह अंकित किया गया था. हिन्दू धर्म के अनुसार, स्वास्तिक एक पवित्र प्रतीक है और किसी पवित्र प्रतीक के उल्टे इस्तेमाल के दुष्प्रभाव बेहद खतरनाक होते हैं. ऐसे में हिटलर की बर्बादी का मुख्य कारण आज भी कही न कहीं धर्म के अनुसार उल्टे स्वास्तिक को ही माना जाता है.
अमेरिका और जर्मन के अलावा और भी कई देशों में स्वास्तिक चिन्ह पाया जाता है. लेकिन एबीएस फर्क ये है कि अन्य देशों में इसे अलग अलग नामों से पूजा जाता है. जहां एक तरफ, नेपाल में स्वास्तिक को 'हेरंब' के नाम से पूजा जाता है तो वहीं बर्मा में इसे 'प्रियेन्ने' के नाम से जाना जाता है. मिस्र में 'एक्टन' के नाम से स्वास्तिक की पूजा होती है.